मेरठ सौरभ मर्डर केस: 302 नहीं, सेक्शन 103... जानिए मुस्कान-साहिल को मिलेगी उम्रकैद या फांसी

मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड ने पूरे देश को चौंका दिया है. इस कातिलाना घटना में सौरभ की पत्नी मुस्कान रस्तोगी और उनके प्रेमी साहिल शुक्ला पर हत्या का आरोप लगा है.

Meerut Saurabh murder case Section 103 not 302 Muskaan-Sahil
फोटो-सेल्फ

मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड ने पूरे देश को चौंका दिया है. इस कातिलाना घटना में सौरभ की पत्नी मुस्कान रस्तोगी और उनके प्रेमी साहिल शुक्ला पर हत्या का आरोप लगा है. इस केस ने कानून के लिहाज से भी कई सवाल खड़े किए हैं. आइए, इस हत्या के मामले में नए कानूनों के तहत सजा की संभावना को विस्तार से समझते हैं.

क्या है पूरा मामला?

सौरभ राजपूत, जो लंदन में एक बेकरी में काम करते थे, 24 फरवरी 2025 को अपनी पत्नी मुस्कान और छह साल की बेटी के जन्मदिन के मौके पर मेरठ लौटे थे. लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनकी पत्नी ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ मिलकर उनकी हत्या की साजिश रच दी थी.

4 मार्च को मुस्कान ने सौरभ के खाने में नशीली दवा मिलाकर उन्हें बेहोश कर दिया. इसके बाद साहिल ने सौरभ को चाकू से गोदकर मार डाला. फिर दोनों ने शव को 15 टुकड़ों में काटकर एक नीले ड्रम में सीमेंट भरकर उसे छिपा दिया. यह जघन्य अपराध तब सामने आया, जब मुस्कान ने अपनी मां को सारी सच्चाई बता दी और उसकी मां ने पुलिस को सूचित किया. 19 मार्च को दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और मेरठ की अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

नए कानून के तहत सजा की संभावना

यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) के तहत दर्ज किया गया है, लेकिन 2023 में भारत में आपराधिक कानूनों में बड़े बदलाव किए गए हैं और अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हो गई है. आइए, अब हम जानते हैं कि इस नए कानून के तहत दोषियों को किस तरह की सजा हो सकती है.

BNS धारा 103 (हत्या)

यह धारा हत्या के मामले में सजा का प्रावधान करती है और इसमें दो प्रमुख सजा के विकल्प हैं:

आजीवन कारावास (उम्रकैद): इस केस की क्रूरता को देखते हुए मुस्कान और साहिल को उम्रभर की सजा मिलना लगभग तय माना जा रहा है. इसके अंतर्गत, दोषियों को अपनी पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी और पैरोल की संभावना भी सीमित हो सकती है.

मृत्युदंड (फांसी): अगर अपराध को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में माना जाता है, तो इसे फांसी की सजा भी दी जा सकती है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में रखा जा सकता है, क्योंकि अपराध बेहद क्रूर और सुनियोजित था.

अपराध की क्रूरता

  • मुस्कान ने पहले से नशीली दवाएं, चाकू और ड्रम खरीदने की योजना बनाई थी.
  • सौरभ को बेहोश करने के बाद चाकू से गोदकर उसकी हत्या की गई.
  • शव को 15 टुकड़ों में काटकर सीमेंट में छिपाया गया.
  • सौरभ की छह साल की बेटी ने पड़ोसियों को यह बताया, "पापा ड्रम में हैं", जो यह दर्शाता है कि अपराध के बारे में बच्ची ने कुछ देखा हो सकता है.

BNS धारा 105 (सुनियोजित हत्या)

यह धारा खास उन हत्याओं के लिए है, जो पूर्व-निर्धारित साजिश के तहत की गई हों. मुस्कान और साहिल ने हत्या की पूरी योजना बनाई थी, जिसमें दवाओं, चाकू और ड्रम को पहले से खरीदा गया था. इस धारा के तहत भी सजा उम्रकैद या फांसी हो सकती है.

अन्य धाराएं

  • BNS धारा 238 (सबूत मिटाने की कोशिश): शव को काटकर ड्रम में सीमेंट भरकर छिपाना एक प्रकार से सबूत नष्ट करने की कोशिश है, जिसके तहत 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.
  • BNS धारा 61 (आपराधिक साजिश): इस मामले में दोनों ने मिलकर साजिश रची थी, जिसके तहत उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

साजिश और अंधविश्वास का खेल

मुस्कान ने साहिल को स्नैपचैट पर फर्जी मैसेज भेजकर यह विश्वास दिलाया कि उसकी मृत मां सौरभ को मारने के लिए कह रही है. साहिल अंधविश्वासी था और उसके कमरे में तंत्र-मंत्र से जुड़ी तस्वीरें भी मिलीं, जो इस साजिश को और भी घातक बनाती हैं.

क्या कहता है इतिहास?

भारत में पहले भी ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामलों में फांसी की सजा दी गई है, जैसे निर्भया केस (2012) और धनंजय चटर्जी केस (2004). इस केस की क्रूरता और सुनियोजित साजिश को देखते हुए कोर्ट इसे भी उसी श्रेणी में रख सकती है. हालांकि, BNS के तहत सजा का अंतिम फैसला सबूतों, गवाहों और कानूनी दलीलों पर निर्भर करेगा.

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