नई दिल्ली: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और अमेरिकी एयरोस्पेस इंजीनियर बुच विल्मोर अब जल्द ही पृथ्वी पर लौटने वाले हैं. वे पिछले नौ महीने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर फंसे हुए थे. उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाने के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और स्पेसएक्स ने एक मिशन लॉन्च किया है. इस मिशन के तहत, स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट ड्रैगन अंतरिक्ष यान को लेकर भेजा गया, जो क्रू-10 मिशन के हिस्से के रूप में चार नए अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजने के साथ-साथ सुनीता और बुच को पृथ्वी पर वापस लाएगा.
जून में ISS पहुंचे थे दोनों
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर, जो पिछले साल जून में आईएसएस पहुंचे थे, को वहां कुछ दिनों का समय बिताना था, लेकिन कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों के चलते वे नौ महीने तक स्पेस स्टेशन पर ही रह गए. अब क्रू-10 मिशन उन्हें धरती पर वापस लाएगा. यह स्पेसएक्स का दसवां क्रू रोटेशन मिशन है और NASA के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत ISS के लिए ग्यारहवीं क्रू फ्लाइट का हिस्सा है, जिसमें डेमो-2 टेस्ट फ्लाइट भी शामिल है.
मिशन के लॉन्च से पहले, अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने नासा और स्पेसएक्स के क्रू-10 मिशन के लिए समर्थन व्यक्त करते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया. उन्होंने कहा, "हम सभी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और जल्द ही आप सभी का घर में स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं." उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने एलन मस्क से कहा था, "अंतरिक्ष यात्रियों को घर ले आओ और अभी करो," और अब उनका मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो रहा है.
Liftoff of Crew-10! pic.twitter.com/OOLMFQgA52
— SpaceX (@SpaceX) March 14, 2025
क्या है ISS?
इस मिशन में चार नए अंतरिक्ष यात्री भी ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. इसमें NASA के ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के ताकुया ओनिशी और रूस के अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के किरिल पेस्कोव शामिल हैं. इन यात्रियों के द्वारा किए गए प्रयोगों से हमें अंतरिक्ष के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त होगी.
ISS, जो पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर घूमता है, एक अनोखी वैज्ञानिक प्रयोगशाला है. यहां गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव बहुत कम होता है, जिससे वैज्ञानिकों को ऐसे प्रयोग करने का मौका मिलता है जो पृथ्वी पर संभव नहीं हैं. ISS पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग से कई देशों के अंतरिक्ष यात्री मिलकर काम करते हैं, जिससे अंतरिक्ष अनुसंधान को नए आयाम मिलते हैं.
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