बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को 4% आरक्षण देने के मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ. बीजेपी विधायकों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए सदन में नारेबाजी की और विधेयक की कॉपी फाड़कर स्पीकर की ओर उछाल दी.
इस हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर ने मार्शलों को बुलाकर BJP विधायकों को सदन से बाहर करवा दिया और 18 विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया. इस गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों के वेतन में 100% बढ़ोतरी का विधेयक पास हो गया.
मुख्यमंत्री और विधायकों की सैलरी दोगुनी
कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक विधानमंडल वेतन, पेंशन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2025 और कर्नाटक मंत्रियों के वेतन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी, जिससे राज्य के जनप्रतिनिधियों की वेतन और भत्तों में भारी बढ़ोतरी हुई है.
मुख्यमंत्री की सैलरी: ₹75,000 से बढ़कर ₹1.5 लाख प्रति माह हो गई.
विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति: ₹75,000 से बढ़कर ₹1.25 लाख हो गई.
मंत्रियों की सैलरी: ₹60,000 से बढ़ाकर ₹1.25 लाख प्रति माह कर दी गई.
विधायकों की मंथली सैलरी: ₹40,000 से बढ़कर ₹80,000 हो गई.
हाउस रेंट अलाउंस (HRA): मंत्रियों के लिए ₹1.2 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख प्रति माह किया गया.
सप्लीमेंट्री अलाउंस: ₹4.5 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख प्रति माह कर दिया गया.
सरकार का कहना है कि विधायकों के खर्च बढ़ने की वजह से वेतन में यह बढ़ोतरी जरूरी थी. यह 2022 में तय किए गए नियमों के तहत हर पांच साल में सैलरी संशोधन का हिस्सा है. हालांकि, इस फैसले से राज्य के खजाने पर सालाना ₹10 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
विपक्ष ने किया विरोध, जनता में नाराजगी
BJP और अन्य विपक्षी दलों ने वेतन बढ़ोतरी के फैसले की कड़ी आलोचना की है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि जब जनता महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है, तब विधायकों की सैलरी दोगुनी करना जनता के पैसे का दुरुपयोग है.
कई संगठनों और आम नागरिकों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि राज्य सरकार पर पहले से ही आर्थिक संकट का दबाव है. सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है.
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