अंकारा: तुर्किये में विपक्षी नेता और इस्तांबुल के मेयर इकरम इमामुलू की गिरफ्तारी के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. देशभर में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिनमें हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुई हैं, जिसके चलते सरकार ने इस्तांबुल में चार दिन के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा, कई सड़कों और मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है.
अब तक 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें पत्रकार और विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हैं. विश्लेषकों का मानना है कि यह राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक है.
भ्रष्टाचार और आतंकवाद से जुड़े आरोपों में गिरफ्तारी
54 वर्षीय इकरम इमामुलू रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) के प्रमुख नेता हैं और उन्हें आधुनिक तुर्की के निर्माता मुस्तफा कमाल पाशा की विचारधारा का समर्थक माना जाता है.
इमामुलू पर भ्रष्टाचार और आतंकवादी संगठन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) की मदद करने का आरोप लगाया गया है.
मुख्य आरोप:
नगरपालिका के टेंडरों में भ्रष्टाचार: सरकार का दावा है कि पत्रकारों और कारोबारियों सहित 100 से अधिक लोग अवैध गतिविधियों में शामिल थे.
पीकेके से संबंध: इमामुलू और उनके छह सहयोगियों पर प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) को समर्थन देने का आरोप है. तुर्किये इस संगठन को आतंकवादी मानता है.
विपक्षी दलों का कड़ा विरोध, एकता की अपील
उन्होंने कहा, "चाहे कुछ भी हो, इकरम इमामुलू राष्ट्रपति पद के लिए हमारे उम्मीदवार रहेंगे."
इस बीच, सोशल मीडिया पर भी विरोध तेज हो गया है. कई लोगों ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों के बहिष्कार की मांग की है, क्योंकि उनका मानना है कि तुर्किये में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं.
इमामुलू की शिक्षा पर भी विवाद
गिरफ्तारी से पहले ही इस्तांबुल यूनिवर्सिटी ने इमामुलू की डिग्री रद्द कर दी थी, जिससे उनकी राष्ट्रपति पद की दावेदारी पर सवाल उठ गए हैं.
तुर्किये के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बनने के लिए उच्च शिक्षा पूरी करना अनिवार्य है. अगर अदालत अपना फैसला नहीं बदलती है, तो इमामुलू राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो सकते हैं.
इमामुलू का राजनीतिक सफर और एर्दोगन से टकराव
इमामुलू का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है.
इस्तांबुल एर्दोगन के लिए हमेशा खास रहा है, क्योंकि यहीं से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. इसीलिए, इमामुलू की जीत को एर्दोगन के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.
क्या तुर्किये में समय से पहले होंगे राष्ट्रपति चुनाव?
तुर्किये में आखिरी राष्ट्रपति चुनाव 2023 में हुआ था, जिसमें एर्दोगन को लगातार तीसरी बार जीत मिली थी. अगला चुनाव 2028 में होना है, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एर्दोगन संविधान में बदलाव कर समय से पहले चुनाव करवा सकते हैं.
विपक्षी दलों को डर है कि इमामुलू की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में तुर्किये की राजनीति किस दिशा में जाती है.
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