यमन में छिड़ा युद्ध? अमेरिका ने सना पर की भयंकर बमबारी, हूतियों ने भी MQ-9 रीपर पर दागे गोले

    मध्य पूर्व एक बार फिर अशांत है, और इस बार केंद्र में है यमन की राजधानी सना. अमेरिकी वायुसेना ने हाल ही में यहां बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिनकी पुष्टि हूती-नियंत्रित सरकारी मीडिया ने शुक्रवार रात की.

    Yemen war America bombed Sanaa Houthis fired MQ9 Reaper
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मध्य पूर्व एक बार फिर अशांत है, और इस बार केंद्र में है यमन की राजधानी सना. अमेरिकी वायुसेना ने हाल ही में यहां बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिनकी पुष्टि हूती-नियंत्रित सरकारी मीडिया ने शुक्रवार रात की. ये हमले सना के उन इलाकों पर किए गए जहां महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है — जैसे अल हफा और अल सबीन जिले, जो शहर के दक्षिणी हिस्से में आते हैं. इन क्षेत्रों में एक बिजली संयंत्र और सरकारी कार्यालय स्थित हैं. इसके साथ-साथ उत्तरी इलाके बानी हुशायश को भी निशाना बनाया गया, जहां हूती विद्रोहियों के सैन्य ठिकाने बताए जाते हैं.

    रास ईसा पर हुए हमले में लगभग 80 लोगों की मौत

    हालांकि यह सिलसिला यहीं नहीं रुका. शनिवार की सुबह अमेरिका ने सना के उत्तर में अल समा नामक क्षेत्र पर चार और हमले किए. यह नया हमला उस कार्रवाई के ठीक एक दिन बाद हुआ, जिसमें अमेरिकी सेना ने रास ईसा नाम के तेल बंदरगाह पर धावा बोला था. यह बंदरगाह यमन का एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत माना जाता है. हूती प्रशासन के अनुसार, रास ईसा पर हुए हमले में लगभग 80 लोगों की मौत हुई और 150 से ज्यादा लोग घायल हुए.

    अमेरिका की सेंट्रल कमांड ने रास ईसा हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि इसका मकसद हूती विद्रोहियों को आर्थिक और सैन्य तौर पर कमजोर करना था, लेकिन जैसे ही इन हमलों की खबरें सामने आईं, यमन से बाहर एक नया मोर्चा खुलता दिखाई दिया. शुक्रवार सुबह हूती विद्रोहियों ने तेल अवीव की ओर एक मिसाइल दागी. इज़रायली एयर डिफेंस सिस्टम ने इसे बीच रास्ते में ही नष्ट कर दिया, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई. हालांकि यह साफ था कि हूतियों का यह कदम अमेरिकी हमलों के जवाब में उठाया गया था.

    अमेरिकी MQ-9 रीपर ड्रोन को मार गिराया

    इस पूरे घटनाक्रम के बीच हूती गुट ने एक और बड़ा दावा किया — उन्होंने कहा कि उन्होंने एक अमेरिकी MQ-9 रीपर ड्रोन को मार गिराया है. इस दावे के साथ एक वीडियो फुटेज भी जारी की गई, जिसमें यह दिखाया गया कि कैसे एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ने अमेरिकी ड्रोन को निशाना बनाया. यह दावा अगर सही साबित होता है, तो यह अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका हो सकता है.

    इस तेजी से बदलती स्थिति ने रेड सी और आसपास के इलाकों को फिर से एक संघर्ष क्षेत्र में तब्दील कर दिया है. अमेरिका की कार्रवाई को जहां सैन्य रणनीति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से देखा जा रहा है, वहीं हूतियों की प्रतिक्रिया यह इशारा कर रही है कि यह लड़ाई अब यमन की सीमाओं में सिमटी नहीं रहने वाली. तेल बंदरगाहों और ऊर्जा संरचनाओं पर हो रहे हमले इस बात का संकेत हैं कि यह संघर्ष न केवल सैन्य, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी गंभीर रूप ले चुका है.

    अब सवाल ये है कि क्या अमेरिका और हूती विद्रोहियों के बीच ये टकराव लंबी लड़ाई का संकेत है? क्या यह रेड सी को एक और 'हॉट ज़ोन' बना देगा? और क्या ये तनाव नाटो और उसके सहयोगियों को एक नई रणनीति अपनाने पर मजबूर कर देगा? एक बात तय है — यह लड़ाई अब सिर्फ ड्रोन और मिसाइलों की नहीं रही, यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन, ऊर्जा सुरक्षा और राजनीतिक नियंत्रण की भी लड़ाई बन चुकी है.

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