BYE-BYE पाकिस्तान! माइक्रोसॉफ्ट के बाद याम्हा ने भी समेट लिया अपना कारोबार

    पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था और बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता अब विदेशी कंपनियों को रास नहीं आ रही हैं. एक के बाद एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां देश से अपना कारोबार समेटने लगी हैं. सबसे ताज़ा घटनाक्रम में जापानी ऑटो कंपनी यामाहा ने पाकिस्तान में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बंद करने का फैसला किया है.

    Yamaha Closed their business from pakistan after microsoft
    Image Source: Social Media/ANI

    पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था और बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता अब विदेशी कंपनियों को रास नहीं आ रही हैं. एक के बाद एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां देश से अपना कारोबार समेटने लगी हैं. सबसे ताज़ा घटनाक्रम में जापानी ऑटो कंपनी यामाहा ने पाकिस्तान में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बंद करने का फैसला किया है. इससे पहले टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट भी 25 साल बाद पाकिस्तान को अलविदा कह चुकी है.

    यामाहा मोटर कंपनी ने पाकिस्तान में अपने प्रोडक्शन ऑपरेशन्स को बंद करने की घोषणा की है. कंपनी की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह फैसला "बदलते कारोबारी माहौल" के चलते लिया गया है. हालांकि, यामाहा ने स्पष्ट किया है कि देश में उसकी कस्टमर सर्विस और स्पेयर पार्ट्स सप्लाई चालू रहेगी. यानि जो ग्राहक पहले से यामाहा की मोटरसाइकिल इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें सर्विस और वारंटी जैसी सुविधाएं मिलती रहेंगी. कंपनी के प्रबंध निदेशक शिनसूके यामाउरा ने कहा कि यह फैसला बेहद मुश्किल था, लेकिन हालात ने मजबूर कर दिया.

    माइक्रोसॉफ्ट ने भी बंद किया 25 साल पुराना सफर

    यामाहा से पहले टेक्नोलॉजी सेक्टर की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी पाकिस्तान में अपनी गतिविधियां पूरी तरह से रोक दी हैं. यह कदम खासतौर पर आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के चलते उठाया गया. कंपनी ने अपने सभी कर्मचारियों को पाकिस्तान से बाहर निकाल लिया है.

    माइक्रोसॉफ्ट के पहले कंट्री हेड जव्वाद रहमान ने कहा,

    "आज मुझे पता चला कि Microsoft ने आधिकारिक रूप से पाकिस्तान में अपना कामकाज बंद कर दिया है. जो कुछ कर्मचारी बचे थे, उन्हें भी सूचित कर दिया गया है. यह एक युग का अंत है."

    किन वजहों से कंपनियां पाकिस्तान छोड़ रही हैं?

    गंभीर आर्थिक संकट: विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से आयात पर असर पड़ा है. कंपनियों को कच्चा माल और जरूरी उपकरण मंगवाने में दिक्कत हो रही है. राजनीतिक अस्थिरता: देश में सरकार और विपक्ष के बीच लगातार टकराव, प्रदर्शन और अराजकता ने कारोबार के लिए असुरक्षित माहौल बना दिया है. आतंकी पनाहगाह की छवि: पाकिस्तान की वैश्विक छवि को लेकर भी कंपनियां सतर्क हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया है. भारत-पाक तनाव: क्षेत्रीय तनाव भी कंपनियों के फैसलों को प्रभावित कर रहा है, खासतौर पर वे कंपनियां जो भारत में भी सक्रिय हैं.

    भविष्य के लिए क्या संकेत हैं?

    माइक्रोसॉफ्ट और यामाहा जैसी दिग्गज कंपनियों का देश छोड़ना सिर्फ एक कारोबारी फैसला नहीं, बल्कि यह संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का पाकिस्तान से भरोसा उठ रहा है. इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और रोज़गार के अवसरों पर पड़ेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो आने वाले दिनों में और भी कई वैश्विक कंपनियां यही रास्ता अपना सकती हैं.

    यह भी पढ़ें: अब इंजीनियर संभालेगा नेपाल की गद्दी! जाने कौन हैं कुलमान घिसिंग, जिन्हें पीएम बनाने की मांग हुई तेज