मध्य पूर्व की तपती ज़मीन अब और भी गरम होती दिख रही है. इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी लड़ाई में अब अमेरिका के खुलकर उतरने की संभावना तेज़ हो गई है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमला करने की योजना को मंजूरी दे दी है.
हालांकि अंतिम फैसला फिलहाल टला हुआ है—ट्रंप इंतज़ार कर रहे हैं कि क्या ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को पीछे हटाता है या नहीं. लेकिन व्हाइट हाउस के बयानों और सैन्य गतिविधियों से साफ है कि अमेरिका का मूड अब पहले से कहीं ज़्यादा आक्रामक है.
"हम जानते हैं खामेनेई कहां हैं"
डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं हमला कर सकता हूं... या नहीं भी कर सकता. कोई नहीं जानता मैं क्या करने वाला हूं.”
ट्रंप का यह बयान इजरायल के समर्थन में सीधा संकेत माना जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें पता है कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई कहां छिपे हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें "निकालने" का इरादा नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा, “अगला हफ्ता बहुत बड़ा होगा, शायद एक हफ्ते से भी कम का.”
CENTCOM ने पेश किए सैन्य ऑप्शन
यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की और ईरान पर संभावित सैन्य कार्रवाई को लेकर विस्तृत योजनाएं सौंपीं. इससे यह साफ है कि अमेरिका ने युद्ध की स्थिति में तेज़ और निर्णायक हस्तक्षेप की तैयारी कर ली है.
ईरान के साथ ट्रंप की 'गुप्त वार्ता' की कोशिश
यरुशलम पोस्ट का दावा है कि ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को ईरानी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से एक गुप्त बैठक की व्यवस्था की थी. वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि ईरान ट्रंप की सीधी बातचीत की पेशकश पर जल्द ही सहमति दे सकता है.
इस मीटिंग का फोकस दो चीजों पर है:
हालांकि, ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने ट्रंप की बिना शर्त सरेंडर की मांग को ठुकरा दिया है. उन्होंने साफ चेतावनी दी है: “अगर अमेरिका ने हमला किया, तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.”
"समझौता ही एकमात्र रास्ता"
इधर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस तनाव पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि ईरान और इजरायल के बीच जारी दुश्मनी को खत्म किया जाना चाहिए और रूस इस दिशा में मध्यस्थता के लिए तैयार है. पुतिन ने कहा, “अब वक्त है कि सभी पक्ष बातचीत के रास्ते तलाशें. इस संघर्ष को और गहराने से कोई लाभ नहीं होगा.”
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