World Most Dangerous Serial Killer: भारत का इतिहास सिर्फ महान सम्राटों और संतों का ही नहीं रहा है, बल्कि यहां कुछ ऐसे कुख्यात अपराधी भी हुए हैं जिनकी दास्तानें आज भी रूह कंपा देती हैं. 18वीं और 19वीं सदी के बीच एक ऐसा ही नाम सामने आया था जिसने मौत को ही अपना पेशा बना लिया था. उस सीरियल किलर का नाम ठग बेहराम था. ये नाम सुनते ही अंग्रेज अफसरों तक की रूह कांप उठती थी.
रुमाल बना था हत्या का औजार
ठग बेहराम की पहचान उसके खास तरीके से की जाती थी. वह किसी बंदूक या तलवार का इस्तेमाल नहीं करता था, बल्कि एक साधारण दिखने वाले रुमाल से अपने शिकार की जान ले लेता था. कहा जाता है कि उसने अपने इसी रुमाल से करीब 931 लोगों की गला घोंटकर हत्या की थी. बेहराम का यह तरीका इतना सफाई से किया जाता था कि शवों तक का पता नहीं चलता था.
गिरोह के साथ बदलता था वेश
बेहराम अकेला नहीं था. उसके साथ एक संगठित गिरोह था जिसमें करीब 200 से ज्यादा ठग शामिल थे. ये लोग व्यापारियों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ हमसफर बन कर यात्रा करते थे. फिर जैसे ही मौका मिलता, सभी मिलकर शिकार पर टूट पड़ते और उसे मौत के घाट उतार कर सारा माल लूट लेते.
लोगों में फैला ऐसा खौफ कि रास्ते सुनसान हो गए
उस दौर में दिल्ली से लेकर ग्वालियर और जबलपुर तक के व्यापारी और यात्री रास्तों से गुजरने से कतराने लगे थे. कई बार पूरे काफिले गायब हो जाते थे और उनकी लाशें तक नहीं मिलती थीं. यह रहस्य बना ही रहता अगर कैप्टन विलियम स्लीमैन नाम के एक अंग्रेज अफसर ने इसकी जांच न की होती.
10 साल की मेहनत के बाद हुआ पर्दाफाश
साल 1809 में कैप्टन स्लीमैन को इस मामले की तहकीकात की जिम्मेदारी सौंपी गई. वर्षों की खोजबीन के बाद उन्होंने यह पता लगाया कि यह सब ठग बेहराम और उसके गिरोह का काम था. उन्होंने कई सदस्यों को गिरफ्तार किया और आखिरकार ठग बेहराम को भी पकड़ा गया. उस वक्त उसकी उम्र करीब 75 साल थी. कई हत्याओं का दोषी ठहराए जाने के बाद वर्ष 1840 में ठग बेहराम को फांसी दे दी गई. उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दुनिया के सबसे खतरनाक सीरियल किलर के रूप में दर्ज किया गया.
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