odisha News: ओडिशा के पुरी से आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली इस वारदात की शिकार 15 वर्षीय बच्ची आखिरकार ज़िंदगी की जंग हार गई. दिल्ली के एम्स में दो हफ्तों तक मौत से लड़ने के बाद 3 अगस्त को उसने दम तोड़ दिया. इस मासूम का अपराध बस इतना था कि वह एक दोस्त से मिलकर घर लौट रही थी, और दरिंदों ने उसकी पूरी दुनिया ही छीन ली.
पुरी जिले के बलंगा थाना क्षेत्र में 19 जुलाई की सुबह एक नाबालिग लड़की को तीन बदमाशों ने कथित रूप से अगवा किया और उसके शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर उसे ज़िंदा जला दिया. घटना भार्गवी नदी के किनारे हुई थी. मां की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें बताया गया कि लड़की स्कूल की छुट्टी के बाद एक दोस्त से मिलकर लौट रही थी, तभी ये भयावह वारदात हुई.
70 प्रतिशत से ज्यादा जल चुकी बच्ची को पहले पिपिली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, फिर एम्स भुवनेश्वर और अंत में एयर एंबुलेंस से दिल्ली लाया गया. यहां एम्स में उसकी दो बार सर्जरी और स्किन ग्राफ्टिंग की गई, मगर तमाम कोशिशों के बावजूद बच्ची को बचाया नहीं जा सका.
मुख्यमंत्री समेत पूरे राज्य में शोक की लहर
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपना दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि "दिल्ली एम्स और राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद बच्ची की जान नहीं बचाई जा सकी. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उसके परिजनों को यह असीम दुख सहने की शक्ति मिले." उपमुख्यमंत्रियों, बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक और सांसद सस्मित पात्रा समेत कई नेताओं ने शोक जताया और परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की.
राजनीतिक नाराज़गी और जांच की मांग तेज
घटना को लेकर विपक्ष भी हमलावर हो गया है. ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष भक्त चरण दास ने आरोप लगाया कि वारदात को 15 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस अब तक आरोपियों तक नहीं पहुंच सकी है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिनों में दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो कांग्रेस डीजीपी ऑफिस का घेराव करेगी. वहीं, पुलिस ने बलंगा क्षेत्र में एहतियातन सुरक्षा कड़ी कर दी है और विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.
न्याय की आस, सवालों की कतार
इस नृशंस घटना ने न सिर्फ एक बच्ची की जान ली, बल्कि पूरे समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है, क्या हमारे बच्चे वास्तव में सुरक्षित हैं? क्या हमारा सिस्टम पीड़ित के साथ खड़ा है या वह भी समय के साथ चुप्पी ओढ़ लेता है? इस मामले में अब निगाहें पुलिस की कार्रवाई, एसआईटी की जांच और न्याय प्रणाली पर टिकी हैं. देश को इंतज़ार है, सिर्फ दोषियों की गिरफ्तारी का नहीं, बल्कि उस इंसाफ का जो आज भी कई मासूमों के लिए सपना बनकर रह गया है.
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