हुस्न का जाल बिछाकर मिनटों में बिस्तर तक ले आती है 'स्पाई गर्ल', हनीट्रैप से इतना क्यों डरता है चीन?

    वैश्विक शक्तियों के बीच खुफिया जानकारी की दौड़ में हनीट्रैप एक पुराना लेकिन कारगर हथियार बना हुआ है.

    Why is China so afraid of honeytrap and spy girl
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    बीजिंग: वैश्विक शक्तियों के बीच खुफिया जानकारी की दौड़ में हनीट्रैप एक पुराना लेकिन कारगर हथियार बना हुआ है. हाल ही में चीन ने अपने सरकारी अधिकारियों और नागरिकों को विशेष रूप से चेतावनी जारी की है कि वे विदेशी एजेंटों द्वारा प्रेम या आकर्षण के जरिए फंसाने के प्रयासों से सावधान रहें.

    चीन के राज्य सुरक्षा मंत्रालय (MSS) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म WeChat के ज़रिए यह अलर्ट साझा किया, जिसमें बताया गया कि विदेशी जासूस आकर्षक रिश्तों के बहाने संवेदनशील सूचनाएं हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. यह चेतावनी केवल महिला एजेंटों तक सीमित नहीं है — मंत्रालय ने कहा कि पुरुषों को भी इस तरह के ऑपरेशन में शामिल किया जा सकता है.

    ‘स्पाई गर्ल्स’ और भावनात्मक जाल की रणनीति

    MSS ने हाल ही में सामने आए एक मामले का ज़िक्र किया जिसमें ‘ली सी’ नामक एक चीनी नागरिक को एक विदेशी नाइटक्लब में मिली महिला के ज़रिए फंसाया गया. शुरुआती आकर्षण, उसके बाद निजी संबंध और फिर तस्वीरों व वीडियो के ज़रिए ब्लैकमेलिंग — यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित हनीट्रैप ऑपरेशन का हिस्सा थी.

    ली से संवेदनशील सूचनाएं हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया गया यह तरीका, मंत्रालय के अनुसार, कोई अपवाद नहीं है. ऐसे कई उदाहरण सामने आ रहे हैं जिनमें दवाब, लालच या भावनात्मक संबंध के माध्यम से लोगों को जासूसी में धकेला जा रहा है.

    कौन हैं मुख्य निशाने पर?

    चीन ने विशेष रूप से उन पेशेवर समूहों को सतर्क किया है जो विदेश में काम कर रहे हैं या अध्ययनरत हैं, जैसे:

    • राजनयिक और वैज्ञानिक
    • विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक
    • विदेशों में रह रहे छात्र
    • सरकारी परियोजनाओं से जुड़े विशेषज्ञ

    MSS के अनुसार, इन व्यक्तियों के पास संवेदनशील सूचनाएं होती हैं और उन्हें निशाना बनाना अपेक्षाकृत आसान माना जाता है — खासकर जब वे अपने देश से दूर होते हैं.

    ऑनलाइन हनीट्रैप: डिजिटल दुनिया में भी खतरा

    सावधानी केवल फिजिकल इंटरैक्शन तक सीमित नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि ऑनलाइन चैटिंग, सोशल मीडिया इंटरेक्शन और फेक प्रोफाइल्स के ज़रिए भी लोगों को फंसाया जा सकता है. खासकर अज्ञात Wi-Fi नेटवर्क्स का प्रयोग या अजनबियों से निजी जानकारियां साझा करना जोखिम भरा हो सकता है.

    MSS की सलाह: सूझबूझ है सबसे जरूरी

    सरकार की चेतावनी का उद्देश्य लोगों को डराना नहीं, बल्कि जागरूक करना है. मंत्रालय का कहना है कि अगर कोई भी व्यक्ति संदेहास्पद गतिविधियों का शिकार होता है, तो उसे बिना झिझक इसकी जानकारी अधिकारियों को देनी चाहिए. सूचना को छिपाना न केवल व्यक्तिगत बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक हो सकता है.

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