भारत-पाकिस्तान जंग पर नजर गड़ाए बैठा है चीन, इन हथियारों की कर रहा जासूसी, क्या है ड्रैगन का मकसद?

    चीन इस संघर्ष को एक "रियल-टाइम वॉर लैब" के रूप में देख रहा है, जहां वह भारत के ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और नौसेना की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रहा है.

    Why is China keeping an eye on the India-Pakistan war
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    नई दिल्ली: समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन इस संघर्ष को एक "रियल-टाइम वॉर लैब" के रूप में देख रहा है, जहां वह भारत के ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और नौसेना की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन भारतीय मिसाइलों की ट्रैजेक्टरी, एक्युरेसी और सीकर परफॉर्मेंस जैसी तकनीकी जानकारियों को एकत्रित करने की कोशिश कर रहा है.

    रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारत-पाकिस्तान के इस संघर्ष से जुड़ी हर जानकारी, चाहे वो भारतीय ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल हो, एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती हो, या फिर भारतीय नौसेना की गतिशीलता हो, उसे बारीकी से रिकॉर्ड कर रही है.

    पाकिस्तान के साथ चीन की सैन्य साझेदारी

    चीन और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग गहरा और व्यापक है. पाकिस्तान की वायु सेना में चीनी निर्मित JF-17 और J-10C फाइटर जेट्स शामिल हैं, जो हालिया संघर्ष में इस्तेमाल किए गए. इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान को VT-4 टैंक और HQ-9B SAM सिस्टम जैसे उन्नत हथियार प्रदान किए हैं. यह सहयोग पाकिस्तान की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ चीन को भारत के खिलाफ रणनीतिक लाभ भी प्रदान करता है.

    हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति

    चीन ने हाल के वर्षों में हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ाया है, जहां वह स्पेस ट्रैकिंग शिप, ओसियनोग्राफिक रिसर्च शिप और मछली पकड़ने वाले जहाजों के माध्यम से जासूसी कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये जहाज रेडियो फ्रीक्वेंसी, रडार रिटर्न और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल रिकॉर्ड करके पीएलए को फीड करते हैं. यह गतिविधि भारत की नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए की जा रही है.

    भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियाँ

    चीन की इस निगरानी गतिविधि के चलते भारत को अपनी सैन्य रणनीतियों और तकनीकी प्रणालियों की सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को अपने कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क को सुरक्षित करने, साइबर सुरक्षा को बढ़ाने और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इसके अलावा, भारत को अपने रक्षा सहयोगियों के साथ मिलकर चीन की निगरानी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए रणनीतियाँ विकसित करनी चाहिए.

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