ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेश्कियन 26 जुलाई को पाकिस्तान के दौरे पर आ रहे हैं. यह उनका राष्ट्रपति बनने के बाद पहला पाकिस्तान दौरा होगा. यह दौरा उस समय हो रहा है जब ईरान और इजराइल के बीच पिछले 12 दिनों से युद्ध जारी था. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ईरान इजराइल के साथ संघर्ष के बाद पाकिस्तान का रुख कर रहा है. इससे पहले भी, जब इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ा था, तब ईरान ने पाकिस्तान से रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश की थी.
विश्लेषकों के मुताबिक, जब भी ईरान पर बाहरी दबाव बढ़ता है, खासकर इज़राइल या अमेरिका से, तब वह अपनी रणनीति के तहत अपने पड़ोसी देशों से रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश करता है. पाकिस्तान, जो कि ईरान का करीबी और महत्वपूर्ण पड़ोसी है, हमेशा इस रणनीति का अहम हिस्सा रहा है. दोनों देशों के बीच धार्मिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक समानताएँ हैं, जिनका ईरान इस तरह के संकटों में राजनीतिक लाभ के रूप में इस्तेमाल करता है. इससे न सिर्फ क्षेत्रीय समर्थन मिलता है, बल्कि यह संदेश भी जाता है कि ईरान अकेला नहीं है, वह अपने दोस्ती और सहयोगियों के साथ खड़ा है.
राष्ट्रपति पेज़ेश्कियन की पाकिस्तान यात्रा: महत्वपूर्ण मुद्दे
ईरान के राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा के दौरान, वह प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से मुलाकात करेंगे, जहां दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा, और सीमा पार आतंकवाद जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. दोनों देशों के बीच पहले से ही अच्छे कारोबारी रिश्ते हैं, जैसे कि बलूचिस्तान में ईरान द्वारा बिजली सप्लाई की जाती है और दोनों देशों के बीच LPG और तेल का अनौपचारिक व्यापार होता है. अब इस दौरे के जरिए इन सहयोगों को औपचारिक रूप देने की कोशिश हो सकती है.
दोनों देशों के रिश्तों का इतिहास
ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा ही उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है कि वे सीमा पार स्थित सशस्त्र समूहों पर नियंत्रण पाने में नाकाम रहे हैं. 2024 की शुरुआत में दोनों देशों के बीच एक गंभीर संकट पैदा हुआ था, जब ईरान ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था, और बदले में पाकिस्तान ने भी ईरान में मिसाइल दागी. हालांकि, कुछ हफ्तों में ही दोनों देशों ने बातचीत के जरिए तनाव को शांत कर लिया था.
पाकिस्तान के लिए ईरान क्यों अहम है?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के लिए ईरान से अच्छे रिश्ते बनाए रखना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उसके भारत और अफगानिस्तान के साथ रिश्ते पहले ही चुनौतीपूर्ण रहे हैं. अगर ईरान के साथ भी रिश्ते तनावपूर्ण होते हैं, तो पाकिस्तान के पास एक और मोर्चा खुल सकता है, जिसे वह वर्तमान में झेलने की स्थिति में नहीं है. वहीं, ईरान के लिए पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है, जिसके साथ वह अपनी क्षेत्रीय ताकत का संदेश दे सकता है, चाहे वह इज़राइल के खिलाफ हो या फिर पश्चिमी दबाव का जवाब देने के लिए.
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