चीन से कतरा रहा अमेरिका, भारत पर ढा रहा सितम! ड्रैगन पर टैरिफ लगाने में हो रही ट्रंप की हवा टाइट?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से रूसी तेल खरीद पर दोहरे टैरिफ का हथियार चला दिया, लेकिन चीन के मामले में अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के अनुसार, चीन पर शुल्क लगाने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है,.

    Why america is attacking on india and not on china over trade deal
    चीन से कतरा रहा अमेरिका

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से रूसी तेल खरीद पर दोहरे टैरिफ का हथियार चला दिया, लेकिन चीन के मामले में अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के अनुसार, चीन पर शुल्क लगाने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, क्योंकि बीजिंग के साथ अमेरिका के रिश्ते कई मोर्चों पर जुड़े हुए हैं, जिनका रूस-यूक्रेन स्थिति से सीधा संबंध नहीं है.

    अमेरिका ने पहले ही भारत पर 25% टैरिफ लगाया था. इसके बाद पिछले सप्ताह रूसी तेल आयात को लेकर अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़ दिया गया, जिससे भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू हो गया. यह दर किसी भी देश पर अमेरिकी इतिहास में सबसे ऊँची में से एक है. यह नया शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी होगा. भारत ने इसे अनुचित और अविवेकपूर्ण बताते हुए विरोध जताया है. दूसरी तरफ, चीन ने जुलाई में रूस से करीब 10 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया, लेकिन ट्रंप ने बीजिंग को 90 दिन का समय दिया है ताकि बातचीत से कोई समाधान निकाला जा सके.

    चीन पर नरमी की वजह

    ट्रंप का चीन के प्रति यह रुख सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूरी भी है. अमेरिका और चीन पहले से ही व्यापार युद्ध में उलझे हैं. पिछली बार भारी टैरिफ बढ़ोतरी के बाद चीन ने ‘रेयर अर्थ मिनरल्स’ की सप्लाई रोक दी थी, जिससे अमेरिका के रक्षा और हाई-टेक सेक्टर में हड़कंप मच गया था. यही डर ट्रंप को चीन पर तत्काल कार्रवाई से रोक रहा है.

    रेयर अर्थ मिनरल्स पर निर्भरता

    दुनिया के लगभग 70% रेयर अर्थ मिनरल्स का उत्पादन चीन में होता है और 90% से अधिक प्रोसेसिंग भी वहीं होती है. ये खनिज रक्षा उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, सैटेलाइट और हाई-टेक उद्योगों में अहम भूमिका निभाते हैं. इस कारण अमेरिका इन संसाधनों के लिए अब भी चीन पर निर्भर है, जबकि वैकल्पिक स्रोतों की तलाश जारी है.

    क्या हैं रेयर अर्थ मिनरल्स?

    ये कुल 17 तत्वों का समूह हैं, जिनमें 15 लैंथेनाइड्स के साथ स्कैंडियम और येट्रियम शामिल हैं. लैंथेनम, सेरियम, नियोडीमियम, डिस्प्रोसियम और यूरोपियम जैसे तत्व इनका हिस्सा हैं, जो आधुनिक तकनीक के लिए अनिवार्य माने जाते हैं.

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