हफ्ता वसूलने वाले दादा बन गए हैं ट्रंप! कंपनियों को लाइसेंस बांटने के बदले मांग रहे "प्रोटेक्शन मनी"

    US-China trade deal: अमेरिकी चिप कंपनियों एनवीडिया (NVIDIA) और एएमडी (AMD) को चीन में अपने उत्पादों की बिक्री जारी रखने के लिए अब एक नई और अनोखी शर्त माननी पड़ी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों कंपनियों ने अमेरिका सरकार को अपने चीन एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई का 15% हिस्सा देने पर सहमति जता दी है.

    American chip companies give 15 percent of their earnings to the Trump government
    Image Source: ANI/ File

    US-China trade deal: अमेरिकी चिप कंपनियों एनवीडिया (NVIDIA) और एएमडी (AMD) को चीन में अपने उत्पादों की बिक्री जारी रखने के लिए अब एक नई और अनोखी शर्त माननी पड़ी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों कंपनियों ने अमेरिका सरकार को अपने चीन एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई का 15% हिस्सा देने पर सहमति जता दी है. माना जा रहा है कि यह कदम अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापार नीति के तहत उठाया गया है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों में नया मोड़ आ सकता है.

    यह समझौता उस पृष्ठभूमि में हुआ है जब अमेरिका ने सुरक्षा चिंताओं के चलते चीन को उन्नत चिप्स की बिक्री पर पहले रोक लगा दी थी. अब एनवीडिया को अपनी AI चिप H20 और एएमडी को MI308 की चीन में बिक्री फिर से शुरू करने की इजाज़त मिल रही है, लेकिन एक भारी शर्त के साथ.

    क्या कहती हैं कंपनियां?

    एनवीडिया ने बयान में कहा है कि वह अमेरिका सरकार के सभी नियमों का पालन करती है और यह समझौता उसी नीति का हिस्सा है, ताकि कंपनी चीन में H20 चिप्स की आपूर्ति फिर से शुरू कर सके. इन चिप्स का उपयोग प्रमुख आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एप्लिकेशनों में होता है, और चीन के लिए यह एक बड़ा बाज़ार है.

    ट्रंप प्रशासन की 'डीलमेकिंग' रणनीति?

    जानकारों का मानना है कि यह करार अभूतपूर्व है और अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी में एक नई प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहाँ सरकार कंपनियों से सीधे राजस्व में हिस्सेदारी मांग रही है. ट्रंप प्रशासन के इस रुख को कई विशेषज्ञ ‘डीलमेकिंग के नए युग’ के तौर पर देख रहे हैं, जहाँ कंपनियों को चीन जैसे संवेदनशील बाजार में प्रवेश के बदले सरकार के साथ आर्थिक साझेदारी करनी पड़ रही है.

    हालांकि, आलोचकों का कहना है कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा वाकई चिंता का विषय है, तो महज़ राजस्व का हिस्सा लेने से वह कैसे दूर हो सकती है? यह सवाल अब अमेरिका की सुरक्षा नीति की पारदर्शिता और प्राथमिकताओं पर भी उठने लगे हैं.

    अमेरिकी निवेश को लेकर बढ़ता दबाव

    यह केवल चिप कंपनियां नहीं हैं जो ट्रंप प्रशासन के दबाव का सामना कर रही हैं. बीते सप्ताह टेक जायंट Apple ने अमेरिका में 100 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की, जबकि पहले भी वह 500 अरब डॉलर निवेश का वादा कर चुकी थी. इसी तरह Micron Technology और NVIDIA ने भी देश में भारी निवेश की घोषणाएं की हैं.

    नया ट्रेड वॉर या नई रणनीति?

    विशेषज्ञ इस फैसले को एक नई किस्म की ट्रेड वॉर की शुरुआत मान रहे हैं, जहाँ सीधे टैरिफ लगाने की बजाय कंपनियों से सौदेबाज़ी के जरिए नियम लागू किए जा रहे हैं. आने वाले समय में यह नीति अन्य क्षेत्रों में भी लागू हो सकती है, जिससे वैश्विक व्यापार पर दूरगामी असर पड़ सकता है.

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