कौन है भारत में रहने वाला बेनेई मेनाशे समुदाय, जिसके लिए इज़राइल ने खोल दिया खजाना?

    Israel Bnei Menashe: दुनिया भर में बिखरे यहूदी समुदायों को फिर से अपने मूल राष्ट्र से जोड़ने के प्रयासों के बीच इज़राइल ने एक अहम कदम उठाया है. पहली बार, इज़राइली सरकार ने भारत के मणिपुर और मिजोरम में रहने वाले बेनेई मेनाशे समुदाय के 5,800 लोगों को अगले पांच वर्षों में देश में बसाने की मंजूरी दे दी है.

    Who is the Bnei Menashe community for whom Israel opened its doors
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    Israel Bnei Menashe: दुनिया भर में बिखरे यहूदी समुदायों को फिर से अपने मूल राष्ट्र से जोड़ने के प्रयासों के बीच इज़राइल ने एक अहम कदम उठाया है. पहली बार, इज़राइली सरकार ने भारत के मणिपुर और मिजोरम में रहने वाले बेनेई मेनाशे समुदाय के 5,800 लोगों को अगले पांच वर्षों में देश में बसाने की मंजूरी दे दी है.

    यह सिर्फ एक आव्रजन कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक लंबे समय से जुड़े सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते की पुनर्स्थापना माना जा रहा है. इज़राइल ने इस मिशन के लिए करीब 240 करोड़ रुपये का विशाल बजट भी मंजूर कर दिया है.

    कौन हैं बेनेई मेनाशे?

    उत्तर-पूर्व भारत में फैला यह छोटा लेकिन बेहद विशिष्ट समुदाय खुद को इज़राइल की प्राचीन “मेनाशे जनजाति” का वंशज मानता है, जिसे लगभग 2,700 वर्ष पहले असीरियन साम्राज्य ने विस्थापित कर दिया था.

    लंबे समय तक इनकी पहचान पर बहस चली, मगर 2005 में सेफारदी समुदाय के चीफ रब्बी श्लोमो अमर ने आधिकारिक तौर पर इन्हें यहूदी वंशज मान लिया. तब से इनके इज़राइल लौटने का रास्ता खुलने लगा, और अब तक लगभग 2,500 लोग वहां बस भी चुके हैं.

    ज्यूइश एजेंसी पहली बार लेगी पूरी जिम्मेदारी

    इमिग्रेशन की पूरी प्रक्रिया अब ज्यूइश एजेंसी खुद संचालित करेगी, यह पहली बार हो रहा है. समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक और प्रशासनिक जांच से गुजरना होगा. इज़राइली चीफ रब्बिनेट पात्रता इंटरव्यू लेगा, कन्वर्जन अथॉरिटी और पॉपुलेशन एंड इमिग्रेशन विभाग सभी औपचारिकताएं पूरी कराएंगे, और इसके बाद उड़ानों की बुकिंग से लेकर रहने की जगह, हिब्रू भाषा की कक्षाएं और रोजगार सहायता तक सब कुछ एजेंसी की ज़िम्मेदारी होगी.

    भारत दौरे पर आएगी रब्बियों की सबसे बड़ी टीम

    इस परियोजना को इमिग्रेशन मंत्री ओफिर सोफर ने कैबिनेट में पेश किया था. अब इसकी मंजूरी मिलते ही दर्जनों वरिष्ठ रब्बियों की एक बड़ी टीम भारत पहुंचने वाली है. यह टीम लगभग 3,000 उन लोगों की जांच करेगी जिनके परिवार के सदस्य पहले से इज़राइल में रह रहे हैं—यानी यह प्रक्रिया अब अपने सबसे निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है.

    कहां बसाए जाएंगे ये लोग?

    पहले इन समुदायों को वेस्ट बैंक जैसे इलाकों में बसाया गया था, लेकिन अब इज़राइल उन्हें उत्तरी हिस्सों में स्थानांतरित कर रहा है. सबसे महत्वपूर्ण इलाका है Nof Hagalil, जो नाज़रेथ के करीब एक मिश्रित यहूदी-अरब शहर है. आने वाले सभी 5,800 लोगों को भी इन ही सुरक्षित और योजनाबद्ध शहरों में बसाया जाएगा, जहां उनके लिए खास पुनर्वास कार्यक्रम चलाया जाएगा.

    सिर्फ पुनर्वास नहीं, नई पीढ़ी के लिए नया भविष्य

    बेनेई मेनाशे समुदाय के युवा पहले से ही इज़राइल डिफेंस फोर्सेज (IDF) में सेवाएं दे रहे हैं, जिससे यह साफ है कि यह समुदाय न सिर्फ सांस्कृतिक रूप से, बल्कि राष्ट्रीय रूप से भी इज़राइल का हिस्सा बन चुका है. अब जब अगले पांच साल में इस समुदाय का सबसे बड़ा समूह इज़राइल में बसने जा रहा है, तो यह कदम दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्तों को और भी मजबूत करेगा.

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