अमेरिका की राजनीति और विदेश नीति में इन दिनों एक नाम खासा चर्चा में है — पीटर नवारो. डोनाल्ड ट्रंप के पुराने और भरोसेमंद ट्रेड सलाहकार माने जाने वाले नवारो ने हाल ही में भारत को लेकर जो बयान दिए हैं, उन्होंने भारत-अमेरिका रिश्तों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.
नवारो ने भारत पर रूस और चीन के करीब जाने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं, उन्होंने भारत को “अवसरवादी” करार देते हुए चेतावनी दी कि “भारत को वहीं चोट दी जाएगी, जहां सबसे ज़्यादा तकलीफ होती है.” उनका यह बयान ट्रंप के संभावित दूसरे कार्यकाल की विदेश नीति की झलक भी देता है.
भारत पर क्यों भड़के नवारो?
नवारो का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदता है, उसे रिफाइन करता है और इस प्रक्रिया में परोक्ष रूप से रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को सहारा देता है. उनका कहना है कि अगर भारत अमेरिका का “रणनीतिक साझेदार” बनना चाहता है, तो उसे अमेरिका के हितों के अनुरूप व्यवहार करना होगा.
कौन हैं पीटर नवारो?
पीटर नवारो एक अमेरिकी अर्थशास्त्री और लेखक हैं, जिन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है. करियर की शुरुआत में वह डेमोक्रेटिक विचारधारा के समर्थक थे, लेकिन बाद में उन्होंने “अमेरिका फर्स्ट” सोच को अपना लिया. ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017–2021) में वे व्हाइट हाउस की नेशनल ट्रेड काउंसिल के प्रमुख रहे और अब ट्रंप के नए कार्यकाल में उन्हें सीनियर काउंसलर फॉर ट्रेड एंड मैन्युफैक्चरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
विवादों से भरी रही है नवारो की राह
नवारो की नीतियां शुरू से ही विवादों में रही हैं. उन्होंने "डेथ बाय चाइना" जैसी किताबें लिखीं, जिनमें चीन की आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना की गई. इसी किताब ने ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर का ध्यान खींचा और नवारो को ट्रंप की टीम में जगह मिली. ट्रंप के साथ उनकी नजदीकी इतनी है कि कई रिपोर्ट्स में उन्हें टैरिफ पॉलिसी का मास्टरमाइंड बताया गया है. लेकिन यह भी सच है कि उनके प्रस्तावित टैरिफ ने न सिर्फ अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ डाला, बल्कि अमेरिका के सहयोगी देशों से भी रिश्तों में खटास ला दी.
टैरिफ नीतियों ने बढ़ाया अमेरिका का अकेलापन
नवारो का मानना है कि टैरिफ लगाने से अमेरिका में नौकरियों में बढ़ोतरी होगी और घरेलू उद्योगों को सुरक्षा मिलेगी. उन्होंने दावा किया था कि इससे अमेरिका को हर साल 600 अरब डॉलर की कमाई होगी. हालांकि, येल यूनिवर्सिटी और टैक्स फाउंडेशन जैसे संस्थानों ने इस आंकड़े को गंभीर रूप से बढ़ा-चढ़ाकर बताया, और वास्तविक कमाई को 2.3 से 2.8 खरब डॉलर के बीच बताया.
नवारो की नीतियों का असर अमेरिका के अपने सहयोगियों पर भी पड़ा. कनाडा, मैक्सिको, जापान और यूरोपीय संघ जैसे देशों पर उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर टैरिफ लगा दिए. इन देशों ने बदले में अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाए, जिससे अमेरिकी कारोबारियों को नुकसान हुआ और अमेरिका की चीन-विरोधी रणनीति को भी झटका लगा.
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