कौन है वो शख्स जिसने लगा डाली गूगल क्रोम को खरीदने की बोली, तिगुना पैसों का दिया ऑफर

    टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बार फिर हलचल मच गई है. 3 साल पहले शुरू हुआ AI स्टार्टअप Perplexity AI अब गूगल के सबसे अहम प्रोडक्ट Chrome ब्राउजर को खरीदने के लिए 34.5 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 3,02,152 करोड़ रुपये) का ऑफर दे चुका है.

    Who is Arvind Srinivas Willing to buy Google Chrome bid 302 152 crore offer
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    टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बार फिर हलचल मच गई है. 3 साल पहले शुरू हुआ AI स्टार्टअप Perplexity AI अब गूगल के सबसे अहम प्रोडक्ट Chrome ब्राउजर को खरीदने के लिए 34.5 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 3,02,152 करोड़ रुपये) का ऑफर दे चुका है. इस खबर की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी Reuters ने की है.

    साल 2022 में शुरू हुआ यह स्टार्टअप अब तक करीब 1 बिलियन डॉलर (लगभग 8,766 करोड़ रुपये) का निवेश जुटा चुका है. Nvidia और SoftBank जैसी बड़ी कंपनियों ने इसमें निवेश किया है, जिनकी खुद की वैल्यूएशन 14 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है.

    CEO अरविंद श्रीनिवास की कहानी

    इस स्टार्टअप के CEO और को-फाउंडर अरविंद श्रीनिवास, भारतीय मूल के हैं. चेन्नई में जन्मे अरविंद ने IIT Madras से पढ़ाई पूरी की और फिर University of California, Berkeley में आगे की पढ़ाई की. Perplexity AI शुरू करने से पहले अरविंद ने Google और कनाडा के कंप्यूटर साइंटिस्ट Yoshua Bengio के साथ काम किया, जिससे उन्हें AI और इंटरनेट की गहरी समझ मिली.

    Perplexity AI और इसकी खासियत

    Perplexity AI एक कन्वर्शेनल AI सर्च इंजन है, जो यूजर्स को रियल-टाइम जानकारी देता है. हाल ही में कंपनी ने अपना AI-पावर्ड ब्राउजर Comet भी लॉन्च किया है.

    Chrome ब्राउजर का महत्व

    Google के लिए Chrome केवल एक ब्राउजर नहीं, बल्कि उसकी रणनीति और रेवेन्यू का अहम हिस्सा है. यह दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ब्राउजर है. Chrome के माध्यम से Google यूजर्स की ब्राउजिंग आदतों को समझता है, जिससे सर्च इंजन बेहतर होता है, Ads टारगेटिंग आसान होती है, और प्रोडक्ट डिज़ाइन में मदद मिलती है.

    इसके अलावा Chrome Google की अन्य सर्विस जैसे Gmail, Google Drive, YouTube और Docs के साथ इंटीग्रेशन भी सुनिश्चित करता है, जिससे यूजर्स को सहज अनुभव मिलता है. Perplexity AI का यह प्रस्ताव गूगल और टेक्नोलॉजी की दुनिया में नई बहस का विषय बन चुका है, क्योंकि अगर यह डील पूरी हुई तो इंटरनेट और AI की दिशा बदल सकती है.

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