जब भी दुनिया में बढ़ेगा तनाव, तब भारत होगा मालामाल... आसमान से रखेगा नजर, इन कंपनियों को होगा फायदा

    एक दौर था जब अमेरिका ने विश्व युद्धों के बीच हथियारों और तकनीक की आपूर्ति कर वैश्विक प्रभाव मजबूत किया.

    Whenever tension increases then India will become prosperous
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    नई दिल्ली: एक दौर था जब अमेरिका ने विश्व युद्धों के बीच हथियारों और तकनीक की आपूर्ति कर वैश्विक प्रभाव मजबूत किया. आज वैश्विक मंच पर भारत के सामने एक भिन्न लेकिन महत्वपूर्ण मौका है, जहाँ वह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और निगरानी क्षमताओं के जरिए नया नेतृत्व स्थापित कर सकता है.

    वर्तमान में दुनियाभर में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव, देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक अविश्वास और क्षेत्रीय संघर्षों ने सैटेलाइट आधारित निगरानी प्रणालियों की मांग को तेजी से बढ़ा दिया है. भारत की निजी अंतरिक्ष कंपनियां इस मांग को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं.

    कंपनियों को मिल रहे हैं अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर

    ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, पोलैंड, हंगरी और खाड़ी देशों सहित कई राष्ट्र अब भारतीय कंपनियों पर भरोसा कर रहे हैं. कई के पास अपने उपग्रह प्रोग्राम नहीं हैं, लेकिन उन्हें अब तत्काल निगरानी समाधान चाहिए.

    • Adani Defence द्वारा समर्थित Alpha Design जैसी कंपनियां इस दौड़ में अग्रणी हैं.
    • Ananth Technologies और Digantara को ऑस्ट्रेलिया से निगरानी उपग्रह प्रोजेक्ट मिले हैं.
    • GalaxEye Space (चेन्नई स्थित स्टार्टअप) ने हाल ही में अपने पहले मल्टी-सेंसर सर्विलांस सैटेलाइट के लॉन्च की घोषणा की.

    यह साफ है कि भारत की तकनीकी क्षमता अब न केवल घरेलू जरूरतों तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर रणनीतिक सहयोगी बन चुकी है.

    निजी कंपनियों का उभार और सरकारी सहयोग

    2020 में स्थापित IN-SPACe ने निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष गतिविधियों में भागीदारी का अवसर दिया. इसका नतीजा ये रहा:

    • Skyroot Aerospace ने देश का पहला प्राइवेट रॉकेट Vikram-S लॉन्च किया.
    • Agnikul Cosmos, Pixxel, Dhruva Space, और Bellatrix जैसी कंपनियों ने लॉन्च टेक्नोलॉजी, इमेजिंग, और प्रोपल्शन सिस्टम में विश्वस्तरीय काम किया.

    सरकार और ISRO का सहयोग अब एक ऐसे नवाचार इकोसिस्टम को जन्म दे रहा है, जो अंतरिक्ष उद्योग को विश्व प्रतिस्पर्धा में ला खड़ा कर रहा है.

    भारत का लक्ष्य 2033 तक $11 अरब का अंतरिक्ष निर्यात करना है, जो देश के लिए तकनीकी और राजस्व दोनों मोर्चों पर बड़ी उपलब्धि होगी.

    क्या भारत अगला अमेरिका बन सकता है?

    सवाल यह नहीं है कि भारत अगला अमेरिका बनेगा या नहीं, बल्कि यह है कि भारत अपनी अलग रणनीति और मॉडल के साथ वैश्विक नेतृत्व कैसे करेगा:

    • भारत हथियारों के बजाय डेटा, निगरानी और नवाचार निर्यात कर रहा है.
    • भारत की टेक डिप्लोमेसी—अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में साझेदारियाँ—एक शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली नेतृत्व की ओर इशारा करती है.

    देश के प्राइवेट सेक्टर की तकनीकी दक्षता और वैश्विक सहयोग इसे नई ऊँचाइयों तक ले जा रही है.

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