कब लगेगा सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण? धरती पर छा जाएगा अंधेरा, जानें कहां-कहां दिखेगा ये खास नजारा

    पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को आंशिक रूप से या पूरी तरह से रोक देता है. सामान्यत: सूर्य ग्रहण कुछ मिनटों तक ही रहता है, लेकिन 2027 में यह ग्रहण अपनी लंबी अवधि के कारण ऐतिहासिक होगा.

    When will the longest solar eclipse of the century occur
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    Longest Total Solar Eclipse: वर्ष 2027 खगोलविदों और आकाशीय घटनाओं में रुचि रखने वालों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर लेकर आ रहा है. इस साल, एक विशेष और अत्यंत लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, जो न केवल खगोलविदों के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि इसे अगले 100 वर्षों में देखा जाने वाला सबसे लंबा सूर्य ग्रहण माना जा रहा है. यह ग्रहण 2 अगस्त 2027 को होगा, और इस दौरान पृथ्वी पर दिन के समय एक असाधारण अंधेरा छा जाएगा.

    इस ग्रहण में क्या है खास?

    इस ग्रहण की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अत्यधिक लंबा होगा. नासा के अनुसार, 2027 में होने वाला यह ग्रहण 6 मिनट 23 सेकेंड तक चलेगा. इसका मतलब है कि चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य के कोरोना को ढक लेगा और इस दौरान कुछ क्षेत्रों में दिन के समय में पूरी तरह से अंधेरा हो जाएगा. इस समय के दौरान तापमान 5 से 10 डिग्री तक गिर सकता है, और वातावरण में हल्का बदलाव देखा जा सकता है. इस ग्रहण का आकाशीय प्रभाव अद्वितीय होगा, क्योंकि इसके कारण आसमान का रंग बदल जाएगा और यह एक अविस्मरणीय दृश्य होगा.

    सूर्य ग्रहण का यह समय क्यों खास है?

    पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को आंशिक रूप से या पूरी तरह से रोक देता है. सामान्यत: सूर्य ग्रहण कुछ मिनटों तक ही रहता है, लेकिन 2027 में यह ग्रहण अपनी लंबी अवधि के कारण ऐतिहासिक होगा. इसका कारण यह है कि पृथ्वी अपने सूर्य से सबसे दूर बिंदु पर होगी, जिससे सूर्य आकाश में छोटा दिखाई देगा, और चंद्रमा अपनी परिक्रमा के सबसे नजदीक बिंदु पर होने के कारण अधिक बड़ा दिखाई देगा, जिससे सूर्य की रोशनी को अधिक समय तक रोकने की क्षमता होगी.

    कहाँ और कैसे होगा इसका प्रभाव?

    यह ग्रहण मुख्य रूप से अटलांटिक महासागर से शुरू होकर जिब्राल्टर जलडमरूमध्य, दक्षिणी स्पेन, उत्तरी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप तक देखा जा सकेगा. भारत में यह ग्रहण देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन खगोलविदों के लिए यह एक शानदार मौका होगा. हिन्द महासागर के ऊपर यह ग्रहण धुंधला दिखाई देगा. इसका पूरा अनुभव करने के लिए कुछ ही विशेष स्थान होंगे, और हर कोई इसे देख पाएगा ऐसा नहीं होगा.

    वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह कितना महत्वपूर्ण है?

    यह सूर्य ग्रहण न केवल खगोलविदों के लिए एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह एक अवसर भी है ब्रह्मांड के कई रहस्यों को जानने का. वैज्ञानिक इस दौरान सूर्य के कोरोना और उसकी संरचना को समझने का प्रयास करेंगे, जिससे भविष्य में सूर्य के व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी.

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