कब रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत? जानें क्यों है तिथि को लेकर कंफ्यूजन

    मार्गशीर्ष मास आते ही भक्तों में जिस व्रत की सबसे अधिक चर्चा होती है, वह है मोक्षदा एकादशी. यह वह दिन है जब भगवान विष्णु का विशेष कृपा-दृष्टि भक्तों पर बरसता है और माना जाता है कि इस एक व्रत से जन्म-जन्मांतरों के पाप मिट जाते हैं.

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    मार्गशीर्ष मास आते ही भक्तों में जिस व्रत की सबसे अधिक चर्चा होती है, वह है मोक्षदा एकादशी. यह वह दिन है जब भगवान विष्णु का विशेष कृपा-दृष्टि भक्तों पर बरसता है और माना जाता है कि इस एक व्रत से जन्म-जन्मांतरों के पाप मिट जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत न केवल स्वयं साधक को मोक्ष का मार्ग दिखाता है, बल्कि उनके पितरों को भी सद्गति प्रदान करता है. इसलिए इसे ‘मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी’ कहा गया है.

    यूं तो हर महीने दो बार एकादशी का व्रत आता है, लेकिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व अत्यधिक माना गया है. इस वर्ष तिथि को लेकर भक्तों के मन में उलझन बनी हुई थी कि व्रत 30 नवंबर को हो या 1 दिसंबर को. पंचांग की गणना से अब इस असमंजस का समाधान साफ हो चुका है.

    मोक्षदा एकादशी 2025 कब है?

    मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि इस बार सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को पड़ रही है.एकादशी तिथि की शुरुआत 30 नवंबर की रात 09:29 बजे से होगी और यह अगले दिन यानी 1 दिसंबर की शाम 07:01 बजे तक रहेगी.चूंकि व्रत उदयातिथि के अनुसार रखा जाता है इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर को ही किया जाएगा.अगले दिन 2 दिसंबर 2025 को द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण किया जाएगा. पारण का शुभ समय सुबह 06:51 से 09:04 बजे तक रहेगा.

    मोक्षदा एकादशी 2025 के शुभ मुहूर्त

    व्रत और पूजा के दौरान शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन के प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं.

    • ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 05:11 से 06:05 बजे तक
    • विजय मुहूर्त – दोपहर 01:57 से 02:39 बजे तक
    • गोधूलि मुहूर्त – शाम 05:23 से 05:50 बजे तक
    • निशीथ काल – रात 11:46 से 12:40 बजे तक इन मुहूर्तों में भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, ध्यान और मंत्रजप अत्यंत फलदायी माना जाता है.

    मोक्षदा एकादशी का आध्यात्मिक महत्व

    कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए जल, धूप, दीप, तिल और तुलसी के साथ विशेष विधि-विधान से पूजा करते हैं. मान्यता यह भी है कि मोक्षदा एकादशी के प्रभाव से जीवन में मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सुख-समृद्धि बढ़ती है.

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