खामेनेई पर इजरायल ने मिसाइल मारा तो क्या होगा? महायुद्ध का कितना खतरा, समझिए पूरा गणित

    अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को कुछ हो जाता है, तो क्या ईरान की सत्ता डगमगा जाएगी?

    What will happen if Israel fires missile at Khamenei
    खामेनेई | Photo: X/Khamenei

    ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग अब सिर्फ मिसाइलों और बमों तक सीमित नहीं रही. अब सवाल उठ रहा है ईरान की राजनीतिक रीढ़ पर—अगर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को कुछ हो जाता है, तो क्या ईरान की सत्ता डगमगा जाएगी?

    1989 में रूहोल्लाह खुमैनी की मृत्यु के बाद खामेनेई ने ईरान के सुप्रीम लीडर के रूप में सत्ता संभाली थी. तब से लेकर अब तक, उन्होंने न केवल ईरान की राजनीति बल्कि पूरे शिया विश्व पर गहरी छाप छोड़ी है. 86 वर्षीय खामेनेई की उम्र को देखते हुए ईरान में उत्तराधिकारी की चर्चा पहले से थी, लेकिन मौजूदा हालात में ये मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया है.

    क्या खामेनेई पर हमले की साजिश बन रही है?

    इजरायली मीडिया और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के बीच यह अटकलें तेज़ हो गई हैं कि क्या खामेनेई इजरायल के ‘हिट लिस्ट’ में शामिल हो चुके हैं? जब इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से सीधे इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने टालने के बजाय चौंकाने वाला जवाब दिया: “खामेनेई को निशाना बनाने से यह जंग और नहीं बढ़ेगी...बल्कि खत्म हो जाएगी.” नेतन्याहू का यह बयान सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि संकेत है कि अब जंग 'सिर' तक पहुंच चुकी है.

    क्या इजरायली खुफिया एजेंसी कर सकती है ऐसा हमला?

    यह कोई रहस्य नहीं कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पहले भी ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों को टारगेट कर चुकी है. ऐसे में यह मानना गलत नहीं होगा कि अगर राजनीतिक मंजूरी मिलती है, तो सुप्रीम लीडर पर हमला संभव है. हालांकि, खामेनेई बेहद कड़ी सुरक्षा में रहते हैं और दशकों से ईरान से बाहर नहीं गए हैं.

    अगर खामेनेई मारे गए तो क्या होगा?

    ईरान में हालिया वर्षों में कई शीर्ष नेताओं की मौत या हत्या के बाद नई नियुक्तियां तेज़ी से हुई हैं. जैसे, राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना के बाद कुछ ही दिनों में नया राष्ट्रपति चुन लिया गया. लेकिन सुप्रीम लीडर का मामला अलग है.

    सत्ता का केंद्रीकरण, लेकिन उत्तराधिकारी कौन?

    खामेनेई न सिर्फ ईरान की सत्ता के केंद्र हैं, बल्कि वे इस्लामी क्रांति की आत्मा भी माने जाते हैं. विदेश मामलों के जानकार कमर आगा के मुताबिक, “खामेनेई की लोकप्रियता बहुत अधिक है. उन्होंने देश को कई मोर्चों पर मज़बूत किया है — विज्ञान, रक्षा और विदेश नीति में.”

    आगा यह भी मानते हैं कि, “उनकी जगह कोई न कोई जरूर लेगा, लेकिन वैसा कद, वैसी पकड़ और वैसा प्रभाव शायद ही कोई दोहरा पाए.” दरअसल, जिन नेताओं को संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था, वे या तो मारे जा चुके हैं या साइडलाइन हैं. यानी, ईरान के पास इस वक्त खामेनेई जैसा कोई विकल्प नहीं है.

    क्या बदलेगी ईरान की विचारधारा?

    इस्लामी शासन की वर्तमान धारा कट्टरपंथियों के हाथ में है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि युद्ध थमता है और सत्ता में शांति-प्रिय तबका मजबूत होता है, तो ईरान की नीति और विचारधारा में बदलाव संभव है. कमर आगा का मानना है कि, “जब तक युद्ध जारी रहेगा, तब तक सत्ता हार्डलाइनर्स के पास ही रहेगी. लेकिन युद्ध के बाद कोई लिबरल या प्रोग्रेसिव नेता सामने आ सकता है.”

    आख़िरी सवाल: क्या खामेनेई की मौत ईरान को झुका देगी?

    संक्षेप में — नहीं. ईरान एक ‘व्यक्ति पर निर्भर’ देश नहीं है, लेकिन खामेनेई जैसे व्यक्तित्व की अनुपस्थिति में उसकी रणनीति, वैचारिक दिशा और स्थिरता पर असर ज़रूर पड़ेगा.

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