जापान ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पहली बार अपने क्षेत्रीय जल क्षेत्र में मिसाइल परीक्षण किया, जो उसकी बदलती सुरक्षा रणनीति और आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है. यह परीक्षण देश के उत्तरी द्वीप होक्काइडो की ‘शिजुनाई एंटी-एयर फायरिंग रेंज’ में किया गया, जहां ‘टाइप-88’ नामक सतह से जहाज पर मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल दागी गई.
‘आर्टिलरी ब्रिगेड’ के लगभग 300 सैनिकों ने हिस्सा लिया
इस अभ्यास में जापान की ‘ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स’ की पहली ‘आर्टिलरी ब्रिगेड’ के लगभग 300 सैनिकों ने हिस्सा लिया. उन्होंने होक्काइडो के दक्षिणी तट से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक खाली जहाज को लक्ष्य बनाकर प्रशिक्षण मिसाइल दागी. परीक्षण के परिणामों की समीक्षा अभी की जा रही है.
अब तक जापान ने अपने सीमित भू-क्षेत्र और सुरक्षा प्रतिबंधों के चलते अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे सहयोगी देशों की भूमि का उपयोग मिसाइल परीक्षणों के लिए किया था. लेकिन इस बार अपने ही क्षेत्र में यह परीक्षण कर जापान ने यह संकेत दिया है कि वह चीन की आक्रामक समुद्री गतिविधियों और क्षेत्रीय दबावों का सामना करने के लिए तैयार है.
‘टॉमहॉक’ लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों की तैनाती की योजना
जापान, हाल के वर्षों में चीन और रूस द्वारा उसके आसपास किए जा रहे संयुक्त सैन्य अभ्यासों से खासा चिंतित है. यही कारण है कि वह अपनी जवाबी क्षमता को मजबूत करने में जुटा है. देश इस वर्ष के अंत तक अमेरिका से खरीदी गई ‘टॉमहॉक’ लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों की तैनाती की योजना भी बना चुका है. इसके अलावा, जापान अपनी टाइप-12 मिसाइल प्रणाली को भी अपग्रेड कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता टाइप-88 की तुलना में लगभग दस गुना अधिक — यानी करीब 1,000 किलोमीटर तक है. जापान की यह नई रणनीति न केवल आत्मरक्षा की दिशा में एक ठोस पहल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वह अब क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने में एक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
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