भारत की संसद में कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं, जो न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर चर्चाएँ भी पैदा कर देती हैं. लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, जब बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि एक तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद सदन में ई-सिगरेट का उपयोग कर रहे थे, तो यह मुद्दा अचानक सुर्खियों में आ गया. इस आरोप ने न केवल संसद के भीतर हंगामा खड़ा किया, बल्कि पूरे देश में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर ई-सिगरेट क्या है, और क्यों भारत में इसे बैन किया गया है.
ई-सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे पारंपरिक सिगरेट के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था. इस डिवाइस में तंबाकू को जलाने की जरूरत नहीं होती. इसमें एक विशेष लिक्विड होता है, जिसे गर्म किया जाता है और वह भाप के रूप में बदल जाता है. यह भाप निकोटीन, फ्लेवर और अन्य रासायनिक पदार्थों से भरपूर होती है. इसे इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) भी कहा जाता है. इसका आकार और डिजाइन पारंपरिक सिगरेट से काफी अलग हो सकता है—कभी यह पेन के आकार में होती है, तो कभी यह छोटी यूएसबी डिवाइस जैसी दिखती है.
ई-सिगरेट का काम करने का तरीका
ई-सिगरेट के अंदर बैटरी, हीटिंग कॉइल और निकोटीन या फ्लेवर वाले लिक्विड होते हैं. जब डिवाइस को ऑन किया जाता है, तो बैटरी उस लिक्विड को गर्म करती है और इसे भाप के रूप में बदल देती है. इस भाप को व्यक्ति अपने फेफड़ों में खींचता है, और यही वह प्रक्रिया है जो इसे एक सामान्य सिगरेट से अलग बनाती है. हालांकि, यह भाप किसी तरह से सुरक्षित नहीं होती. इसमें पाए जाने वाले रासायनिक तत्व और निकोटीन उतने ही हानिकारक हो सकते हैं जितना कि सामान्य सिगरेट से निकलने वाला धुआं.
भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध क्यों?
भारत सरकार ने 2019 में एक सख्त कदम उठाते हुए ई-सिगरेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया. "इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019" के तहत ई-सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, आयात, निर्यात, भंडारण, और प्रचार-प्रसार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. सरकार ने इसे युवाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया, क्योंकि बहुत से युवा ई-सिगरेट को एक सुरक्षित और 'कूल' विकल्प मानकर इस्तेमाल कर रहे थे. यह फैसला मुख्य रूप से इस डर से लिया गया कि ई-सिगरेट के संभावित स्वास्थ्य खतरे उनके लिए अनजाने रह सकते थे.
यदि कोई व्यक्ति ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे 1 साल तक की जेल, 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है. दूसरी बार पकड़े जाने पर यह सजा और अधिक कठोर हो सकती है, जिसमें 3 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा, ई-सिगरेट को स्टोर करते हुए पकड़े जाने पर 6 महीने तक की जेल और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
ई-सिगरेट आम सिगरेट से कितनी ज्यादा खतरनाक है?
बहुत से लोग यह मानते हैं कि ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट से कम खतरनाक होती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह धारणा गलत है. ई-सिगरेट में भी निकोटीन और अन्य हानिकारक रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चेतावनी दी है कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल हार्ट डिजीज को बढ़ा सकता है, प्रेग्नेंसी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, और यह निकोटीन की लत को तेज कर सकता है. इसके अलावा, ई-सिगरेट के इस्तेमाल से दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बना रहता है, जिनकी गंभीरता अब तक पूरी तरह से समझी नहीं जा सकी है.
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