भारत के लिए गर्व का पल, नौसेना का हिस्सा बना पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट, जानें खासियत

    Diving Support Craft: भारतीय नौसेना अपनी क्षमता और तकनीकी श्रेष्ठता को बढ़ाने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है. इसी कड़ी में 16 दिसंबर 2025 को कोच्चि में DSC A20 नाम का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (DSC) नौसेना में शामिल किया जाएगा. 

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    Diving Support Craft: भारतीय नौसेना अपनी क्षमता और तकनीकी श्रेष्ठता को बढ़ाने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है. इसी कड़ी में 16 दिसंबर 2025 को कोच्चि में DSC A20 नाम का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (DSC) नौसेना में शामिल किया जाएगा. 

    यह कार्यक्रम साउदर्न नेवल कमांड के अधीन आयोजित किया जाएगा, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर वाइस एडमिरल समीर सक्सेना, चीफ ऑफ स्टाफ ऑफिसर, साउदर्न नेवल कमांड उपस्थित रहेंगे. DSC A20 नौसेना की डाइविंग और पानी के नीचे की ऑपरेशंस की क्षमता को काफी बढ़ाने वाला है.

    DSC A20: तकनीकी दृष्टि से खास

    DSC A20 पांच जहाजों की एक सीरीज का पहला जहाज है. इसे कोलकाता की कंपनी टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड (TRSL) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है. यह जहाज विशेष रूप से तटीय इलाकों में डाइविंग ऑपरेशंस और पानी के भीतर किए जाने वाले कार्यों के लिए बनाया गया है.

    इस जहाज में अत्याधुनिक डाइविंग सिस्टम लगे हैं, जो सुरक्षा और कार्यकुशलता के उच्चतम मानकों पर खरे उतरते हैं. इन सुविधाओं की वजह से नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता में काफी सुधार होगा.

    डिज़ाइन और संरचना की विशेषताएं

    DSC A20 में कई खास तकनीकी और डिजाइन विशेषताएं हैं:

    • कैटामारन हल फॉर्म: यह दो हिस्सों वाला डिजाइन जहाज को अधिक स्थिरता प्रदान करता है. इसके अलावा, इससे डेक का क्षेत्रफल बड़ा होता है और जहाज समुद्र में बेहतर तरीके से चलता है.
    • वजन और आकार: यह जहाज लगभग 390 टन वजन का है, जिससे यह तटीय और खुले समुद्र दोनों क्षेत्रों में संतुलित प्रदर्शन कर सकता है.
    • डिजाइन और टेस्टिंग: इस जहाज को इंडियन रजिस्टर ऑफ़ शिपिंग (IRS) के नियमों के अनुसार तैयार किया गया है. विशाखापट्टनम के नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) में हाइड्रोडायनामिक एनालिसिस और मॉडल टेस्टिंग की गई, ताकि जहाज की परफॉर्मेंस और दक्षता सुनिश्चित की जा सके.

    आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की उपलब्धि

    DSC A20 की कमीशनिंग भारत की आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया पहल का शानदार उदाहरण है. यह जहाज पूरी तरह से भारतीय डिजाइन और निर्माण का परिणाम है. इस परियोजना में भारतीय नौसेना, देसी शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री और राष्ट्रीय रिसर्च संस्थानों के बीच उत्कृष्ट सहयोग देखने को मिला.

    इस सफलता से स्पष्ट होता है कि भारत अब स्पेशलाइज्ड और हाई-टेक जहाज स्वयं विकसित करने की क्षमता रखता है. ऐसे प्रोजेक्ट्स देश की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ नौसेना के तकनीकी आत्मविश्वास को भी बढ़ाते हैं.

    नौसेना की ताकत में वृद्धि

    DSC A20 के शामिल होने से भारतीय नौसेना की कई महत्वपूर्ण क्षमताएं बढ़ेंगी. यह जहाज निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेष योगदान देगा:

    • डाइविंग सपोर्ट: पानी के अंदर संचालन के लिए आधुनिक और सुरक्षित डाइविंग सिस्टम उपलब्ध कराएगा.
    • पानी के नीचे इंस्पेक्शन: पोत और समुद्री संरचनाओं की जांच और निरीक्षण की क्षमता बढ़ाएगा.
    • साल्वेज ऑपरेशंस: डूबे हुए जहाजों और अन्य समुद्री वस्तुओं को निकालने में मदद करेगा.
    • तटीय इलाकों में ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट: तटीय और निकट समुद्री क्षेत्रों में तेजी से तैनाती और कार्य सुनिश्चित करेगा.

    यह जहाज कोच्चि में बेस्ड होगा और साउदर्न नेवल कमांड के अधीन काम करेगा.

    आगे की योजनाएं

    DSC A20 सिर्फ इस सीरीज का पहला जहाज है. आगे आने वाले समय में कुल पांच DSC जहाज बनाए जाएंगे, जो भारतीय नौसेना की क्षमता को और भी मजबूत करेंगे. ऐसे स्वदेशी और तकनीकी रूप से उन्नत जहाजों के निर्माण से भारत की नौसेना दुनिया की सबसे आधुनिक, आत्मनिर्भर और सक्षम फोर्स बन रही है.

    DSC A20 की कमीशनिंग के साथ ही भारतीय नौसेना ने यह संदेश भी दिया है कि देश की रक्षा और समुद्री सुरक्षा में आत्मनिर्भरता ही प्राथमिकता है. आने वाले वर्षों में इस तरह के और भी हाई-टेक जहाज नौसेना में शामिल होने वाले हैं, जो भारत को समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में और मजबूती देंगे.

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