What Is Digital Rape: आज के डिजिटल दौर में अपराध के तरीके बदल गए हैं, लेकिन दर्द और अन्याय की तीव्रता उतनी ही भयावह बनी हुई है. डिजिटल रेप उन्हीं अपराधों में से एक है, जो अक्सर आंखों से नहीं, पर आत्मा तक को ज़ख्मी कर देता है. यह सिर्फ तकनीक से जुड़ा अपराध नहीं है, बल्कि एक ऐसा हमला है जो किसी की गरिमा, सुरक्षा और मानसिक स्थिति को गहरे तक प्रभावित करता है.
क्या है डिजिटल रेप?
डिजिटल रेप का मतलब है जब किसी की सहमति के बिना, उसे किसी यौन गतिविधि में धकेला जाए.इसके साथ-साथ, पीड़िता की निजी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा करना, या उसकी अनुमति के बिना यौन रूप से परेशान करना भी डिजिटल यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है. यह अपराध किसी भी स्थान पर हो सकता है अस्पताल हो या घर, सार्वजनिक स्थल हो या पुलिस हिरासत. और जब पीड़िता बेहोशी की हालत में हो, तो ये अपराध और भी क्रूर हो जाता है.
2013 से पहले तक क्या था क़ानून?
निर्भया कांड से पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) में रेप की परिभाषा बेहद सीमित थी. 2013 में इस कानून को बदला गया और डिजिटल रेप को भी अपराध की स्पष्ट श्रेणी में रखा गया. साथ ही, धारा 376 सी और 376 डी के तहत नाबालिग की आयु को 16 वर्ष से कम माना गया.
डिजिटल रेप में कितनी है सजा?
डिजिटल रेप को अब कानून जेंडर-न्यूट्रल अपराध मानता है. इसका मतलब है कि आरोपी और पीड़ित, दोनों किसी भी लिंग के हो सकते हैं.
• यदि पीड़ित नाबालिग है, तो पोक्सो (POCSO) एक्ट के तहत कार्यवाही होती है. इसमें कम से कम 5 साल की सजा होती है, जो उम्रकैद और कुछ मामलों में मौत की सजा तक जा सकती है.
• यदि पीड़ित बालिग है, तो मामला आईपीसी की धारा 376 और अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 63 के अंतर्गत दर्ज होता है, जिसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.
अपराधी कौन होते हैं?
सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा ये है कि लगभग 70% मामलों में आरोपी पीड़िता का कोई जानने वाला होता है. रिश्तेदार, पड़ोसी, स्कूल स्टाफ या पारिवारिक परिचित. ज्यादातर केस सामने ही नहीं आ पाते क्योंकि परिवार बदनामी के डर से चुप रह जाता है. लेकिन याद रखें डिजिटल रेप भी उतना ही गंभीर अपराध है, जितना बलात्कार.
कुछ झकझोर देने वाले उदाहरण
• अकबर अली, पश्चिम बंगाल: 3 साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप के लिए उसे उम्रकैद और ₹50,000 जुर्माने की सजा मिली.
• नोएडा, स्कूल बस कंडक्टर: 4 साल की बच्ची ने जांघों में दर्द की शिकायत की. डॉक्टर को शक हुआ और जांच में डिजिटल रेप सामने आया. उसे 20 साल की जेल हुई.
माता-पिता की जिम्मेदारी क्या है?
छोटे बच्चे अक्सर समझ नहीं पाते कि उनके साथ गलत क्या हुआ है. इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों के व्यवहार में ज़रा सी भी असामान्यता पर तुरंत कार्रवाई करें. अगर कोई शंका हो तो डॉक्टर से जांच करवाएं, और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करें.समाज का डर अपराधियों को हिम्मत देता है, पीड़ितों को नहीं गुरुग्राम की एक एयरहोस्टेस जब आईसीयू में भर्ती थी, तब उसके साथ अस्पताल के एक टेक्नीशियन ने डिजिटल रेप किया. वह होश में आने पर भी समझ गई कि कुछ गलत हुआ है. उसने डिस्चार्ज होने तक इंतजार किया, फिर वकील से सलाह ली और पुलिस में रिपोर्ट की.
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