कुछ ही मिनटों में बदल जाता पूरा माहौल, क्या है 'डिजिटल मैनेजमेंट मॉडल'?

    कई बार सोशल मीडिया पर अचानक किसी विवाद या विरोध से जुड़े हैशटैग ट्रेंड करने लगते हैं, लेकिन कुछ ही मिनटों में पूरा माहौल बदल जाता है. पोस्ट्स की भीड़ में देशभक्ति से भरे संदेश, सकारात्मक स्लोगन, पुराने राष्ट्रीय गौरव की यादें और खुशहाल तस्वीरें छा जाती हैं. 

    What is Digital Management Module China Researchers Explained
    Image Source: ANI

    कई बार सोशल मीडिया पर अचानक किसी विवाद या विरोध से जुड़े हैशटैग ट्रेंड करने लगते हैं, लेकिन कुछ ही मिनटों में पूरा माहौल बदल जाता है. पोस्ट्स की भीड़ में देशभक्ति से भरे संदेश, सकारात्मक स्लोगन, पुराने राष्ट्रीय गौरव की यादें और खुशहाल तस्वीरें छा जाती हैं. 

    असल मुद्दा धीरे-धीरे नीचे धकेल दिया जाता है. यह महज़ तकनीकी संयोग नहीं, बल्कि एक सुविचारित रणनीति का हिस्सा है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चीन के इसी "डिजिटल मैनेजमेंट मॉडल" को विस्तार से समझाया है. जहां बहस का जवाब तर्क से नहीं, बल्कि भारी मात्रा में सामग्री डालकर दिया जाता है.

    प्रचार का नया रूप, बहस नहीं, भीड़

    लोकप्रिय नाम “50 सेंट आर्मी” अक्सर चीन के ऑनलाइन प्रचार तंत्र का प्रतीक माना जाता है. लेकिन अध्ययन बताता है कि आज यह काम फ्रीलांस कमेंटर्स का नहीं, बल्कि सरकारी संस्थानों और कर्मचारियों का है. लाखों सकारात्मक पोस्ट हर साल ऑनलाइन डाली जाती हैं. करीब 448 मिलियन और उनका उद्देश्य आलोचकों से भिड़ना नहीं, बल्कि बातचीत का विषय बदल देना होता है. असल ताकत बहस जीतने में नहीं, बल्कि ध्यान भटकाने में है.

    संवेदनशील विषयों पर सकारात्मक बाढ़

    हार्वर्ड टीम गैरी किंग, जेनिफर पैन और मार्गरेट रॉबर्ट्स के अनुसार जैसे ही कोई संवेदनशील या राजनीतिक रूप से ख़तरनाक विषय उभरता है, चीन का डिजिटल तंत्र सक्रिय हो जाता है. रणनीति सरल है. क्रिटिकल पोस्टों के बीच सीधा विरोध नहीं होगा; इसके बजाय फ़ीड में देशभक्ति, विकास और ऐतिहासिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने वाले संदेशों की बाढ़ ला दी जाएगी. इससे विवादित विषय स्वतः ही नीचे चला जाता है और जनता का ध्यान सुरक्षित एवं सुखद पहलुओं की ओर मुड़ जाता है.

    संकट के समय रणनीति और तेज़

    किसी हादसे, भ्रष्टाचार या नीतिगत झटके के दौरान यह रणनीति और प्रभावी हो जाती है. माइक्रोसॉफ्ट की रिपोर्टों में दर्ज है कि चीन से जुड़े ऑपरेशनों में अब AI-निर्मित मीम, नकली प्रोफाइल और वीडियो-आधारित फेक न्यूज तक का इस्तेमाल बढ़ गया है. उद्देश्य वही चर्चा के तापमान को नियंत्रित रखना और अपनी सुविधाजनक कथा को लगातार दृश्य में बनाए रखना. यह तकनीक सिर्फ चीन तक सीमित नहीं, बल्कि ताइवान, जापान और अमेरिका तक फैल चुकी है.

    ताइवान चुनावों में ऑनलाइन बाढ़ का असर

    2024–2025 की ताइवान चुनाव रिपोर्टों में स्पष्ट हुआ कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चीन-समर्थक नेटवर्कों ने गलत सूचना, मनगढ़ंत वेबसाइटें और भ्रामक पोस्टों की बाढ़ ला दी. ताइवान की सुरक्षा एजेंसियों ने बाद में चेतावनी दी कि यह एक संगठित “ट्रोल आर्मी” है, जिसमें नकली अकाउंट्स, AI सामग्री और राज्य समर्थित मीडिया शामिल है.

    वैश्विक प्रसारण की ताकत

    चीन के अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्लेटफॉर्म, खासकर CGTN डिजिटल, इस अभियान को वैश्विक स्तर तक पहुंचाते हैं. यूट्यूब पर इसके 3.3–3.4 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं, और फ़ेसबुक के अंग्रेज़ी पेज के पहले से ही करोड़ों फॉलोअर्स मौजूद थे. इसका मतलब है कि जब भी किसी विशेष कथा को बढ़ावा देना हो, तो तैयार पब्लिक और बड़े डिजिटल चैनल तुरंत उपलब्ध हैं.

    सूचना का दम घोंटने का उदाहरण

    मान लीजिए किसी फैक्ट्री दुर्घटना पर एक हैशटैग चल रहा है. लोग फोटो, वीडियो और ज़मीनी सच्चाई साझा कर रहे हैं. एक घंटे बाद वही हैशटैग सामाजिक सेवा, राष्ट्रीय गौरव और स्थानीय उत्सवों की पोस्टों से भर जाता है. हादसे की आवाज़ गायब नहीं होती, बस डूब जाती है. शोधकर्ताओं की नज़र में यही “वॉल्यूम अटैक” है—जहां सच को हटाया नहीं जाता, बल्कि निगल लिया जाता है.

    क्यों ‘50-सेंट’ कहानी अधूरी है

    यह मानना गलत है कि चीन की रणनीति कुछ पैसों के बदले टिप्पणी करने वाले लोगों की है. वास्तविक प्रणाली अत्यधिक संगठित है. अगर उद्देश्य बहस जीतना होता, तो जवाबी कमेंट दिखते. अगर उद्देश्य विरोध को खत्म करना होता, तो सभी आलोचनात्मक पोस्ट हटाए जाते. लेकिन असल नीति है—भीड़ के बल पर दबाना. पोस्ट रहती हैं, लेकिन उनका असर कम हो जाता है.

    एल्गोरिदम का खेल और नकली स्वाभाविकता

    प्लेटफॉर्म के रिकमेंडेशन सिस्टम “पॉजिटिव एनर्जी” दिखाते रहते हैं, ट्रेंडिंग लिस्टें दिशा बदल दी जाती हैं और कंटेंट क्रिएटर नेटवर्क एक साथ एक ही संदेश दोहराते हैं. इस वजह से साधारण उपयोगकर्ता समझ नहीं पाता कि इतना बदलाव अचानक कैसे हुआ. लेकिन समय, भाषा और पोस्टों के पैटर्न में ऐसी समानता दिखती है जो एक ही स्रोत की ओर संकेत करती है.

    सूचना रणनीति का असली चेहरा: सेंसरशिप नहीं, संतृप्ति

    चीन की ऑनलाइन रणनीति का मूल सिद्धांत एक वाक्य में समझा जा सकता है—“साइलेंसिंग नहीं, सबमर्जिंग.” आवाज़ दबाने का तरीका उसे मिटाना नहीं, बल्कि इतना कंटेंट डाल देना है कि सच किनारे लग जाए. शांत समय में यह सामान्य देशभक्ति बनकर दिखता है, लेकिन संकट के समय यह एक विशाल दीवार बन जाता है, जिसमें असहमति की हर आवाज़ टकराकर खो जाती है.

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