नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए करीब 26,000 बर्खास्त शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने कहा है कि नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक वे शिक्षक जिनका नाम किसी आपराधिक जांच में नहीं है, अपना कार्य जारी रख सकते हैं. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बच्चों की शिक्षा व्यवस्था किसी कानूनी प्रक्रिया की वजह से प्रभावित नहीं होनी चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने राज्य सरकार और स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) को आदेश दिया कि 31 मई तक नई भर्ती प्रक्रिया का नोटिफिकेशन जारी करें और 31 दिसंबर 2025 तक प्रक्रिया पूरी करें. कोर्ट ने चेताया कि तय समयसीमा में प्रक्रिया पूरी न होने पर उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
ग्रुप C और D कर्मचारियों को राहत नहीं
हालांकि यह राहत सिर्फ शिक्षकों तक सीमित रही. ग्रुप C और D के नॉन-टीचिंग स्टाफ को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. अदालत ने कहा कि इन पदों पर कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों के खिलाफ आरोप स्पष्ट रूप से सिद्ध हुए हैं.
गौरतलब है कि 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें 2016 की भर्ती प्रक्रिया में शामिल 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया गया था.
ममता बनर्जी ने फैसले का स्वागत किया, BJP ने उठाए सवाल
फैसले के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हुए कहा, "हम खुश हैं कि शिक्षकों को अंतरिम राहत मिली है. हम पहले से कह रहे थे कि यह फैसला कई योग्य उम्मीदवारों के लिए अन्यायपूर्ण है." वहीं, बंगाल बीजेपी ने इस घोटाले को लेकर ममता सरकार को निशाने पर लिया और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए उन्हें जेल भेजने तक की बात कही.
पिछले कुछ दिनों से जारी था विरोध-प्रदर्शन
बर्खास्त किए गए शिक्षक और नॉन-टीचिंग स्टाफ 9 अप्रैल से SSC कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने OMR शीट सार्वजनिक करने की मांग उठाई ताकि योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की पहचान की जा सके. 11 अप्रैल को उन्होंने SSC कार्यालय तक मार्च भी निकाला. इसके पहले उन्होंने भूख हड़ताल का ऐलान किया था.
2016 की भर्ती और घोटाले की पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 में स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) के तहत सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 24,640 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें 23 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया, लेकिन बाद में इस प्रक्रिया पर 5 से 15 लाख रुपये तक की रिश्वत के आरोप लगे. इस मामले में CBI ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और SSC के अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. अर्पिता मुखर्जी का नाम तब चर्चाओं में आया जब उनके घर से करोड़ों रुपए बरामद किए गए.
राहुल गांधी की राष्ट्रपति को चिट्ठी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए 8 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा, “जो अभ्यर्थी निर्दोष हैं, उन्हें नौकरी से हटाना गलत होगा. शिक्षा व्यवस्था और उनके परिवारों पर इसका गहरा असर पड़ेगा.” उन्होंने आगे लिखा, “मैं WBSSC भर्ती घोटाले की निंदा करता हूं, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि जिनका इससे कोई संबंध नहीं है, उन्हें न्याय मिले.”
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