Waqf Amendment Bill 2025: संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया. इसके बाद उन्होंने दावा किया कि अगर उनकी सरकार यह संशोधन नहीं लाती तो जिस संसद भवन में वे बैठे हैं, उस पर भी वक्फ की संपत्ति का दावा किया जा सकता था.
दिल्ली के एक मामले का उदाहरण
रिजिजू ने इस बिल को पेश करते हुए दिल्ली के 1970 से चल रहे एक मामले का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि यह मामला सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन जैसी कई संपत्तियों से जुड़ा हुआ है. दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि ये सारी संपत्तियां उनकी हैं.
यह भी पढ़े: 'न खाता न बही जो वक्फ कहे वही सही', लोकसभा में विपक्ष पर बरसे BJP सांसद अनुराग ठाकुर
कांग्रेस सरकार पर आरोप
रिजिजू ने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि जब यह मामला अदालत में था, तब यूपीए सरकार ने 123 संपत्तियों को डीनोटिफाई कर दिया था और उन्हें वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था. रिजिजू ने आरोप लगाया कि यदि उनकी सरकार आज यह संशोधन बिल लेकर नहीं आती, तो संसद भवन और अन्य महत्वपूर्ण संपत्तियां भी वक्फ की संपत्ति के रूप में डीनोटिफाई की जा सकती थीं.
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का योगदान
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि अगर 2014 में भाजपा सत्ता में नहीं आई होती तो कांग्रेस सरकार संसद और हवाईअड्डे की जमीन भी वक्फ को सौंप देती. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह विधेयक वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए लाया गया है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय द्वारा दान की गई संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करना है.
कांग्रेस पर गंभीर आरोप
रिजिजू ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने 123 संपत्तियों को गैर-अधिसूचित कर वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह संशोधन नहीं लाया जाता, तो संसद भवन को भी वक्फ संपत्ति के रूप में दावा किया जा सकता था.
विधेयक के उद्देश्य पर जोर
रिजिजू ने यह भी कहा कि यह विधेयक गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और बच्चों के हित में है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा. उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक नया नहीं है और इसे 1954 में वक्फ अधिनियम के तहत लाया गया था, तब किसी ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं जताई थी?