Viksit Bharat Leadership Summit 2025: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भारत 24 द्वारा विकसित भारत लीडरशिप समिट 2025 का आयोजन किया गया. इस समिट में महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शिरकत की. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भारत 24 की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा कि, "भारत 24 एक ऐसा न्यूज़ चैनल जिसमें राष्ट्रीयता का भाव सर्वोपरि रहता है. देश प्रेम का भाव रहता है." उन्होंने यह भी कहा कि, "भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री मान नरेंद्र मोदी जी जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र समाज प्रथम इस रूप में समर्पित किया है. यह चैनल उन विचारों को जनमानस तक पहुंचाने का काम करता है और राष्ट्र की भावी पीढ़ी को देश प्रेम के भाव से ओतप्रोत करता है." आचार्य देवव्रत ने कहा, "भारत 24 का एक मिशन रहता है और इस मिशन में इनका जो बहुत बड़ा अभियान जेसी शो के नाम से जो चलता है जिसमें भारतवर्ष के ऐसे राजनेता समाज सुधारक और और जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणा देने वाले लोग हैं उनके साथ जो इनका संवाद चलता है प्रश्नोत्तर चलता है जिससे बहुत बड़ी प्रेरणा और बहुत कुछ सीखने का लोगों को अवसर मिलता है. द जेसी शो बहुत लोगों के लिए लोकप्रिय हुआ. इसके लिए मैं विशेष रूप से डॉ. जगदीश चंद्रा को बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद देता हूं.
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने की डॉ. जगदीश चंद्र की तारीफ
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र की तारीफ करते हुए कहा कि, "रास्ते में भी मुझे जानकारी मिली है. जीवन का एक बहुत बड़ा भाग डॉ. जगदीश चंद्रा ने सरकारी सेवा में आईएएस के रूप में दिया. उसके बाद पत्रकारिता क्षेत्र में उन्होंने अन्य न्यूज़ चैनल पर जो काम किया उससे उन न्यूज़ चैनल की जो पहचान बनाई उनकी जो ख्याति और प्रतिष्ठा बढ़ाई वो इनकी कार्य दक्षता को सिद्ध करता है. उनका एक जो मिशन है जो मैं अनुभव कर पाया हूं. कई बार उनसे मिलना होता है. संस्कृत साहित्य में एक बड़ा मजबूत श्लोक आता है. उद्यमेन ही सिद्धती कारणी न मनोदथ ना ही सुक्तस सिंहस प्रविषती मुखे मृगा कि जो लोग परिश्रम को ही धर्म मानते हैं. ऐसे लोगों के लिए कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना असंभव नहीं होता. जगदीश चंद्र जी का जीवन रात और दिन निरंतर परिश्रम परिश्रम और केवल परिश्रम रहता है. उसी का परिणाम है कि आज भारत 24 ने बहुत अल्प काल में जो ख्याति प्राप्त की और उसके साथ इन्होंने अन्य चैनल्स को जिस गति से आगे बढ़ाने का काम किया है उसके पीछे इनका वह परिश्रम उनकी वह ताकत बहुत बड़ी प्रेरणा का कारण बनी है.
"मैं एक ऐसा गवर्नर, जिसने कभी राजनीति देखी थी"
महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, आज आपने इस न्यूज़ चैनल के माध्यम से गेम चेंजर्स विद एमजे हमारे जिज्ञासु जी एक ऐसे यंग मैन जो वास्तव में एक ऊर्जा का नाम मैं समझता हूं जिज्ञासी जी है, जो रात दिन बड़े विवेक और सूझबूझ के साथ इस न्यूज़ चैनल के लिए बहुत प्रेरणा के साथ आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उनको भी मैं आज बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद देता हूं. डॉक्टर शशिकांत शर्मा जी यह मेरे बारे में बहुत कुछ बोल गए और चंद्रा जी का बहुत स्नेह और अपनापन है. बहुत सारी बातें उन्होंने रखी हैं. मैं वास्तव में कहूं तो हिमाचल प्रदेश में डॉ. शशिकांत जी शर्मा से मेरा पहली बार परिचय हुआ था. आप शिमला यूनिवर्सिटी में मास कम्युनिकेशन के प्रोफेसर हैं और पत्रकारिता से लंबे समय से जुड़े रहे और मैं एक ऐसा गवर्नर था जिसने कभी राजनीति देखी नहीं थी. ना मैं कभी राजनीतिक पार्टी का मेंबर बना. ना मैं कभी किसी राजनीतिक पार्टी के मंच पर गया. मेरा यह काम ही नहीं था. मैं केवल और केवल सामाजिक कार्य करता था. बच्चों को पढ़ाने का काम करता था और जितना हो पाया वह एक तरीका था. लेकिन जब यह जिम्मेदारी माननीय प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा मुझे मिली तो मेरे लिए बिल्कुल नया क्षेत्र था.
आचार्य देवव्रत ने कहा कि, "भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी एक ऐसा व्यक्तित्व जिस पर आप और हम सबको गर्व है जिन्होंने भारत की प्रतिष्ठा को सारी दुनिया में पहुंचाया है. इस देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी से इन पिछले 10 साल में बाहर निकाला है. भारत देश का इंफ्रास्ट्रक्चर आप सड़कों पर जब जाते हैं तो 10 साल में पूरे देश में इतना बड़ा रोड सड़क का नेटवर्क खड़ा हुआ है. औद्योगिक क्रांति के रूप में देखें तो भारत समृद्धि उन्नति की ओर जा रहा है. आप जानते हैं आज से 10 वर्ष पहले हम आर्थिक रूप से 11वें नंबर पर थे अर्थव्यवस्था में और इन 10 साल में भारत पांचवी अर्थव्यवस्था से चौथी पर आया और अब तीसरी की ओर तेजी से बढ़ रहा है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का ही परिणाम है. जिस व्यक्ति ने अपने परिश्रम से अथक मेहनत से हम सब लोगों को प्रेरित किया है."
"प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को अपना परिवार बनाया"
उन्होंने कहा कि, "प्रधानमंत्री मोदी 18 घंटे प्रतिदिन काम करते हैं. ऐसा प्रधानमंत्री जिनका 25 साल का राजनैतिक जीवन है. पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. अब प्रधानमंत्री के रूप में 25 साल में जिस व्यक्ति ने एक भी छुट्टी नहीं ली हो, एक भी अवकाश दिन का ना लिया हो, केवल और केवल राष्ट्र प्रथम के लिए काम करते हो. हम तो अपने जीवन में स्वयं देखते हैं. चाहे कोई लोग अपना प्राइवेट बिजनेस करते हैं या नौकरी करते हैं. वह संडे की प्रतीक्षा में रहते हैं. छुट्टी आएगी और उस दिन टेलीफोन भी बंद कर लेते हैं. इतना रुचि लेते हैं. लेकिन अपने देश के प्रधानमंत्री के लिए छुट्टी नाम की कोई चीज नहीं. जो दिवाली फौजियों के साथ मनाते हैं. कभी वह गरीबों के पैर धोने का भी आनंद लेते हैं. अपने लिए कुछ है ही नहीं. एक भूमि का टुकड़ा उनके पास में नहीं. उनके नाम एक साइकिल भी आज के दिन नहीं है. दुनिया में कोई प्रधानमंत्री इतना त्यागी, तपस्वी, मेहनती परिवार से कोई नाता नहीं. सारा राष्ट्र जिसने अपना परिवार बना दिया हो. रात और दिन हमारे और हमारी पीढ़ियों के लिए काम करते हो. विज़न इतना दूरगामी जो आज की नहीं आने वाली पीढ़ियों की सोचते हैं. 2047 विकसित भारत बने. इसके लिए उन्होंने परिश्रम और समय सीमा तय कर दी."
महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि, "विकसित भारत की दिशा में आज भारत 24 जिस तरह से जनमानस को तैयार कर रहा है राष्ट्र सेवा के भाव में इसके लिए मैं पुनः बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद देता हूं और यह न्यूज़ चैनल और इनका इसी प्रकार का समाचार पत्र इस देश की भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा और इस देश के चुमुखी विकास में योगदान देता रहेगा. पुनः जगदीश चंद्रा जी अपने जीवन के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं और मैं कामना करता हूं जीवेम शरद शतम भयस श्रद्धा शता वो 100 वर्षों तक ही नहीं 100 वर्ष से भी ज्यादा लेकिन कैसे? हमारे यहां वेदों में लिखा है तक्षु देव हितम पुरस्ता शुक्रत पश्यम शरद शतम जीवेम शदशतम शणयाम शदा शतम प्रवाम शरदशतम अधनाश्याम शरदशतम भयश्च शरदा शता इसका मतलब भी मैं समझा देता हूं वेद ईश्वर की कृति है और वह जो भले श्रेष्ठ लोग जो प्राणी मात्र के कल्याण में लगे रहते हैं उनके लिए कामना करते हैं. ऐसे लोग सैकड़ों वर्ष तक जिए तो सही लेकिन स्वस्थ होकर के जिए. उनकी आंख ठीक देखती रहे. कान भी ठीक सुनते रहे. हाथ पैर भी ठीक चलते रहे. अधीना मतलब वो किसी के भी गुलाम ना रहे. अधीन ना हो. किसी की बुढ़ापे में सहयोग की इच्छा ना रखें. इतने स्वस्थ होकर के जिए. ऐसी मेरी कामना है."
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