Ghost Town: दुनिया में कई ऐसे शहर हैं जो समय के साथ इतिहास बन गए, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो समय के साथ रहस्य बन गए. ऐसा ही एक शहर है साइप्रस देश का वरोशा (Varosha). एक जमाने में यह शहर पर्यटन का चमकता सितारा था, जहां दुनिया भर से लोग घूमने आते थे, लेकिन आज यह शहर वीरान पड़ा है यहां न लोग, न रौनक है सिर्फ सन्नाटा और जंग लगी इमारतें हैं.
वरोशा था लग्ज़री टूरिज़्म का हब
साइप्रस के फमागस्ता प्रांत में स्थित वरोशा, 1970 के दशक में यूरोप का प्रमुख समुद्री किनारा और लक्जरी टूरिज़्म डेस्टिनेशन माना जाता था. यहां आलीशान होटल, शानदार रेस्टोरेंट और ऊंची-ऊंची रेजिडेंशियल इमारतें थीं. उस समय इस शहर की आबादी लगभग 40,000 के आसपास थी. लेकिन जुलाई 1974 में सब कुछ बदल गया.
नरसंहार के डर से भागे लोग
तुर्की ने ग्रीस समर्थित साइप्रस सरकार के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी, जिसके चलते यहां के लोगों में भय फैल गया. नरसंहार के डर से वरोशा के सारे निवासी एक ही रात में शहर छोड़कर भाग गए. इसके बाद वरोशा में न तो कोई लौटा, न कोई बसा. शहर को घेरकर फेंसिंग कर दी गई और तुर्की सेना ने इस पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिया.
वरोशा बन गया भूतिया शहर
आज वरोशा में समय जैसे ठहर गया है. शहर के बीचों-बीच खड़ी इमारतें, सुनसान होटल और खंडहर बनते रेस्टोरेंट इस बात की गवाही देते हैं कि यह कभी कितना गुलजार हुआ करता था. यहां के बीच भी आम लोगों के लिए हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं.
नो एंट्री ज़ोन है वरोशा
यह जगह अब पूरी तरह से ‘नो एंट्री ज़ोन’ है. यहां किसी को आने की इजाज़त नहीं, यहां तक कि तस्वीर लेना भी अपराध माना जाता है. सिर्फ तुर्की की पेट्रोलिंग टीम यहां गश्त कर सकती है. वरोशा आज सिर्फ एक भूगोलिक स्थान नहीं, बल्कि इतिहास, राजनीति और मानव त्रासदी का जीता-जागता उदाहरण है जहां रौनक कभी लौटेगी या नहीं, यह आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है.
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