देहरादून: उत्तराखंड में सेना में अग्निवीर भर्ती को लेकर राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर खेल विभाग ने एक मानक प्रचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की है, जिसके तहत राज्य के युवाओं को सेना में भर्ती की शारीरिक और मानसिक परीक्षाओं के लिए निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह कदम न केवल युवाओं को सेना में करियर बनाने में मदद करेगा, बल्कि उत्तराखंड की गौरवशाली सैन्य परंपरा को भी आगे बढ़ाएगा.
SOP के तहत प्रशिक्षण की शर्तें
SOP के अनुसार प्रशिक्षण के लिए आवेदन करने वाले युवाओं का उत्तराखंड का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है. इसके अलावा, हाईस्कूल में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले युवक-युवतियां ही इस प्रशिक्षण के लिए पात्र होंगे. राज्य के किसी शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत या सेवामुक्त अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं. प्रशिक्षण में शामिल होने वाले युवाओं को स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य होगा. उन्हें खेल की टी-शर्ट, नेकर, स्पोर्ट्स शूज और मौजे पहनकर आना होगा. SOP में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रतिभागियों के शरीर पर किसी प्रकार का टैटू या स्थायी अप्राकृतिक निशान नहीं होना चाहिए.
युवाओं के लिए अवसर और तैयारी
खेल विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सेना में करियर बनाने के लिए पूरी तरह तैयार करना है. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें फिटनेस, अनुशासन और सैन्य जीवन की बुनियादी समझ दी जाएगी, जिससे वे अग्निवीर भर्ती की सभी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकें. उत्तराखंड की सैन्य परंपरा काफी मजबूत रही है, जिसमें लगभग हर परिवार का कोई सदस्य भारतीय सेना में सेवा दे चुका है. सरकार इस परंपरा को बनाए रखने के लिए युवाओं को प्रेरित करना चाहती है.
प्रशिक्षण के बाद सरकारी नौकरी में आरक्षण
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि अग्निवीर प्रशिक्षण से न केवल युवाओं का शारीरिक और मानसिक विकास होगा, बल्कि भविष्य में उनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का अवसर भी उपलब्ध होगा. इससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और राज्य की सैन्य परंपरा को और मजबूती मिलेगी. सरकार की यह योजना यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी इच्छुक युवा केवल जानकारी या प्रशिक्षण की कमी के कारण अवसर से वंचित न रहे. यह कदम राज्य के युवाओं को राष्ट्रीय सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार करेगा.
ये भी पढ़ें: 'ज़्यादातर यात्री गहरी नींद में थे', हादसे का वो दर्द... पीड़ितों ने आखों देखा हाल किया बयां