पहले सहकारिता की जो समितियां थी वह भ्रष्टाचार का अड्डा बनती थी और एक के बाद एक विवाद घपले-घोटाले चलते रहते थे और मैं सौभाग्यशाली हूं कि पिछले लगभग तीन साल से मैं इस सहकारिता विभाग को देख रहा हूं और मैं यहां के सभी प्रदेश के कृषक बंधुओं का और सहकारिता विभाग से जुड़े हुए सभी अधिकारियों कर्मचारियों का, कि जिन्होंने इतना सुचितापूर्ण काम किया है कि पूरे मेरे कार्यकाल में एक बार भी किसी प्रकार का कोई विवाद सामने नहीं आया है ना कोई घपला घोटाला आया है और उसका कारण माननीय मुख्यमंत्री जी की जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है उसके कारण उस नीति पर चलते हुए आपके मन मन में कोई द्वंद नहीं होता है.
आपके फैसले उस प्रकार से करने जो न्याय संगत हो, नियम संगत हो. तो आप कानून की दृष्टि से जो उचित हो जनता के हित में जो फैसले हो आप उन फैसलों को करने के लिए जब स्वतंत्र होते हैं तो स्वाभाविक रूप से विवाद अपने आप उसमें कम होते चले जाते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिस तरीके का माहौल और वातावरण उत्तर प्रदेश में दिया है हम सब लोग उसके कारण बहुत एक सुरक्षा कवच में हैं. किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं है. किसी का भी और माननीय मुख्यमंत्री जी तो लगातार एक सुरक्षा कवच इस तरीके से देते हैं कि अगर कोई इधर-उधर सा प्रेशर भी आता है गलत काम करने के लिए तो खुलेआम वो कहते हैं कि बिल्कुल नहीं करना है आपको. आपको जो उचित लगे वही करना है और सही ही करना है. तो जब इतना बड़ा संरक्षण माननीय मुख्यमंत्री जी का है तो निश्चित रूप से हमको इस सहकारिता विभाग को आगे बढ़ाने में और विवादों से मुक्त रखने में सहकारिता को बहुत मदद मिली.
"आपको अपने व्यवहार में मृदभाषी होना चाहिए"
ये सोचने का तरीका है क्या होता है कि मैं बहुत से व्यक्तियों को देखता हूं चाहे पॉलिटिकल क्षेत्र में हो चाहे प्रशासनिक पदों पर बैठे हो वो व्यवहार में तो कठोर नजर आते हैं और प्रशासनिक निर्णयों में लुंजपुंज तो आपको अपने व्यवहार में मृदभाषी होना चाहिए, विनम्र होना चाहिए और धैर्यशील होना चाहिए लेकिन प्रशासनिक निर्णयों में कठोर होना चाहिए. तो मैं प्रशासनिक निर्णयों में पूरी तरीके से कठोरता के साथ निर्णय करता हूं और उसको इंप्लीमेंट भी कठोरता के साथ करवाता हूं. तो यह नहीं कि हम बहुत अफलातून बन जाए और गाली गलौज करें और दूसरे तरीके से बात करें मिस बिहेव करें और प्रशासनिक निर्णय में ढुलमुल लुंज पुंज तो आखिर कैसे चलेगी व्यवस्था लेकिन आप मेरे फैसले देखिए जो भी मैंने निर्णय लिए हैं इस सहकारिता के क्षेत्र में पूरी दृढ़ता के साथ उस उन निर्णयों पे कायम रहा हूं और बड़े-बड़े फैसले हुए हैं जिसके कारण आज सहकारिता उत्तर प्रदेश में दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ रही और किसानों को उसका लाभ मिल रहा है.
"संगठन के प्रति आभारी हूं"
वो वही एक मतलब हमारे लिए एक कठिनाई चुनौती खड़ी करती है और वही समस्या है वही समाधान भी है तो वहां से कुछ अगर हमको इस प्रकार की कठिनाइयां होती हैं बहुत से लोग जुड़े हुए हैं संगठन से उनकी अपेक्षाएं हैं तो साथ-साथ संगठन के कार्य करने की और अनुभव के कारण हम संगठन को भी जानते हैं. संगठन के व्यक्तियों को भी जानते हैं कि कौन व्यक्ति कैसा है किसकी कितनी सुनना चाहिए. कितना अह इंपॉर्टेंस देना चाहिए. कौन व्यक्ति सही बोलेगा, सही बात कहेगा. तो, वह हमारे पास अनुभव है. उसके अनुभव के आधार पर हमें निर्णय लेने में भी सहजता होती है. नहीं तो पता चला कि हम व्यक्तियों के बारे में जानते नहीं. उन पे उनके पद के बारे में ही केवल पता होता है. तो हम पद से निर्णय नहीं करते. कोई व्यक्ति मेरे सामने आता है तो वह चाहे छोटा कार्यकर्ता हो बड़ा हो या कुछ भी हो विधायक हो मंत्री हो सांसद हो मैं उसके व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में और बहुत से लोगों को जानता भी हूं और नहीं भी जानता हूं तो मुझे दो मिनट से ज्यादा नहीं लगते उसको समझने में दो चार प्रश्न करता हूं मैं अब समझ जाता हूं इसका व्यक्तित्व कैसा है और उसके कारण मुझे निर्णय लेने में बहुत आसानी हो जाती तो संगठन का जो कार्य है मेरा उसके कारण यहां पर सरकार चलाने में मुझे उस संगठन के कार्य में बहुत ज्यादा सहूलियत हुई है और मैं आज अपने संगठन के और जो लोग बैठे संगठन में जिन्होंने निर्णय किए हैं मुझे काम करने का अवसर दिया मैं उनका आभारी हूं कि उन्होंने वहां पर जो मुझे अवसर दिए जिसके कारण मुझ में ये प्रशासनिक क्षमता डेवलप हुई.
जनता से कनेक्टिविटी कैसे बनाए रखते हैं?
आप अपने दरवाजे बंद कर लीजिए तो आपकी कनेक्टिविटी कम हो जाएगी. तो कनेक्टिविटी कम होते ही फिर धीरे धीरे धीरे-धीरे आप जनता से दूर होते चले जाएंगे और जब आप दरवाजे खोल देंगे तो निश्चित रूप से आप मिनिस्टर हैं तो आपके पास प्रदेश भर के जो जरूरतमंद लोग हैं वो आएंगे भी और आने के बाद फिर आप कैसे निर्णय कर रहे हो? पता चला कि वह व्यक्ति आया और संतुष्ट होकर जाता है. तो वह चार लोगों से कहता है बहुत से ऐसे लोग हैं जो कि मैं फोन पर ही आता है. वो मिलना चाहता हूं. मिलना चाहता हूं. मैं कह रहा हूं कि कुछ मत मिलो. मुझे फोन पर अपने WhatsApp भेज दो. क्या समस्या है? और फोन पर WhatsApp करता है. मैं आधा घंटा एक घंटा 1 दिन में दो दिन में उसको पूरा उसका काम करके WhatsApp पे ही भेज देता हूं कि मिलने की आवश्यकता भी नहीं. अगर उसका जेन्युइन कोई काम है तो समस्या क्या उसको बेचारे को हम 500 किलोमीटर 300 किलोमीटर दौड़ाएं तीन दिन उसका खर्चा करें टाइम और पैसा बर्बाद करें तो मैं उसको सहजता पूर्वक अपना जितना हो सकता है उसका समाधान करता रहता हूं तो संगठन में काम करने की वजह से जो हमारी कनेक्टिविटी जनता और कार्यकर्ताओं से बनी हुई थी उसको मैं अभी तक निर्वाह कर रहा हूं उसके साथ हमारे कार्यकर्ताओं के लिए हर समय दरवाजे खुले हुए हैं और उनकी समस्याओं को मैं सुनता भी हूं. इसकी वजह से जनता में थोड़ा सा एक भाव जाता है कि नहीं वहां जाते हैं तो समस्याओं का समाधान होता है और ईश्वर की कृपा है. आप लोगों का सहयोग है, स्नेह है जिसके कारण भी हमसे जनता में हम सीधे जुड़ने का एक अवसर मिलता है और मुझे इससे बहुत आनंद की प्राप्ति भी होती है.
"अब गड़बड़ होगा तो फाइल पुरानी भी खुल जाएगी"
जिस दिन मैं सहकारिता विभाग में मंत्री बना तो सहकारिता की जैसी आप बता रहे कि वहां घपले घोटाले भ्रष्टाचार के तमाम बड़े-बड़े पहाड़ खड़े हुए थे और जब मैं बैठा तो मैंने निश्चय किया कि आखिर मुझे किस तरफ बढ़ना है. तो मैंने निर्णय यह किया कि जो पुरानी बातें हैं गड़े मुर्दे उखाड़ेंगे नहीं और नए मुर्दे गढ़ने नहीं देंगे. इस संकल्प के साथ हमने सहकारिता विभाग को चलाने का काम किया. तो बहुत से जो अतीत में पास्ट में काम हो गए, गलत हुए. अब मैं अधिकारी कर्मचारियों से कहता हूं भाई मेरे सामने गड़बड़ मत करो. अगर मेरे सामने अब गड़बड़ होगा तो फाइल पुरानी भी खुल जाएगी. अदर वाइज मैं गड़े मुर्दे उखाड़ कर उनका पोस्टमार्टम करने नहीं जा रहा हूं. मैं पूरा समय फिर गड़े मुर्दे उखाड़ू, उनका पोस्टमार्टम करूं और उसके बाद उनको लांछित करूं तो आखिर हम विकास के लिए समय नहीं मिलेगा. तो मैंने वो काम किया नहीं. अब कभी-कभी ऐसा जरूर आ जाता है कि वही लोग अपना अभी भी कर रहे हैं. तो जब अब गड़बड़ करते हैं तो उनकी पुरानी फाइल खुल जाती है. तो वो दंडित होते हैं. बहुत से अधिकारियों को कर्मचारियों को मतलब कठोर दंड दिया गया. उनको सेवा से बर्खास्त भी किया गया है. लेकिन और उनको कहीं राहत भी नहीं मिली. अभी एक प्रकरण हुआ है जिसमें हमने अपने पीसीएफ के छह अधिकारियों को बर्खास्त करने का काम किया है और उसमें छह में से पांच लोग कोर्ट भी नहीं गए. उन्होंने ना तो मेरे पास कोई प्रत्यावेदन दिया ना प्रमुख सचिव अजिस्टार के पास दिया कि भाई ठीक है हमारा खत्म हो गया मामला. एक व्यक्ति वहां हाई कोर्ट में गया. तो हाई कोर्ट में जज ने कहा जज साहब ने मतलब पूरी बात सुनी और उसके बाद उन्होंने कहा कि भाई बहुत दिनों बाद सहकारिता विभाग में अच्छा काम हो रहा है जो विपक्ष का वकील था कि अब इसको होने दीजिए और उन्होंने उस रिट याचिका को खारिज ही नहीं किया और उसके उसके ऊपर पेनाल्टी जो है कॉस्ट 1000, 2000, 5000 नहीं लगाई पूरे 50 हजार की पेनाल्टी लगाने का काम किया आप समझ सकते हैं, 5000 की पेनल्टी हाई कोर्ट लगाए तो कितना नाराज हो के कोर्ट ने निर्णय निर्णय किया होगा तो हमारे पक्ष में इस तरीके से कोर्ट फैसले आज कर रहा है.
"शाहजहांपुर का विकास काफी तेजी के साथ हो रहा"
शाहजहांपुर में जो विकास है उसका मुख्य हमारा जो योगदान है उसमें माननीय सुरेश कुमार खन्ना जी हमारे वित्त मंत्री हैं. लगातार नौ बार से शाहजहांपुर से विधायक हैं. उन्होंने शाहजहांपुर वासियों को एक अनूठा तोहफा देने का काम किया है कि उन्होंने शाहजहांपुर को नगर पालिका से नगर निगम बनाया है. इसके कारण फंड्स भी वहां पर बढ़े. अब शाहजहांपुर का विकास काफी तेजी के साथ हो रहा है और मुझे लगता है आगे आने वाले समय में और व्यवस्थित तरीके से इस नगर का विकास होगा और इसमें पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह जो हमारे शाहजहांपुर के अमर शहीद हैं उनका भी नाम कहीं अच्छा होगा रोशन होगा कि उन लोगों की जो त्याग तपस्या बलिदान है और वह कहीं ना कहीं किसी तरीके से काम में आ रही है.
कालाबाजारी पर कितना रोक लगा?
शाहजहांपुर की जहां तक बात करें तो अभी दो मंत्री हैं. दो विभाग हैं. माननीय खन्ना जी संस्कार भी हैं. वित्त मंत्री भी हैं और मैं सहकारिता देख ही रहा हूं. लेकिन कुछ समय पहले तक माननीय जितिन प्रसाद भी वहीं से थे. वह पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर थे. तो ये शाहजहांपुर को लोग देखे मतलब मन में लोगों को लगता था कि शाहजहांपुर को इतनी पावर क्यों दी गई? परिस्थिति बस हो जाते हैं निर्णय. तो मैं जहां तक यह आप कह रहे हैं कि किस तरीके से यह यूरिया डीएपी की क्या समस्या हुई है. क्या है कि पुराने समय में सहकारी समितियां बिल्कुल बंद पड़ी हुई थी. ये सब निष्क्रिय हो गई थी. जिला सहकारी बैंकों की भी स्थिति ऐसी ही थी. उत्तर प्रदेश की 50 जिला सहकारी बैंकों में 16 जिला सहकारी बैंक ऐसी थी पूर्वांचल की जिसमें हरदोई सीतापुर भी था और पूर्वांचल की बहुत सी बैंक थी. यानी 1/3 लगभग बैंक ऐसी थी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ताले लगा दिए थे. कार व्यवसाय बंद कर दिया था. उसको फिर से माननीय मुख्यमंत्री जी के उस प्रयास से और उस पे रोक लगी हटी और नया लाइसेंस लिया गया हमारी सरकार और उसके बाद जब मैं मंत्री बना तब भी वह 16 बैंक संचालित नहीं हो रहे थे. माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुझको पहली कैबिनेट बैठक में कहा कि 16 जिला सहकारी बैंकों को संचालित करिए और इनके जो डिपॉजिटर्स हैं किसान हैं 18 लाख ऐसे किसान थे इनका पैसा बैंकों में जमा था. बेचारे दर-दर भटक रहे थे कि पैसा नहीं मिल रहा है. कभी कोई कहता था कि हमारे बेटे बेटी की शादी करना है. कभी माताजी पिताजी का इलाज कराना है और अपने बच्चे का फीस जमा करनी है. तो इस तमाम चीजें हमारे सामने आती रही. मुख्यमंत्री जी ने कहा इसका समाधान करो. 5 महीने के भीतर ही सरकार बनने के बाद जब से मैं मंत्री बना हूं, 16 की 16 जिला सहकारी बैंकों को संचालित करने का काम हमारे विभाग ने किया है. और आज मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है. 3 साल में वो 16 जिला सहकारी बैंक संचालित ही नहीं किए. 16 के 16 जिला सहकारी बैंकों को हमने प्रॉफिट में लाने का काम किया. ये बड़ी उपलब्धि है.
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खाद की बता करे तो अब समस्या यह थी कि जो हमारी साधन सहकारी समितियां हैं, टैक्स प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियां ये डिफंक पड़ी हुई थी. निष्क्रिय हो गई थी. तो इसको लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा इनको संचालित कराओ. तो इनका फिर हमने 10 लाख की एक मरम्मत सुदृढ़करण के लेकर इनको रिपेयर कराया. उसके बाद फिर इनको कार्य व्यवसाय के लिए पैसा नहीं था. 75 हजार समितियां ऐसी थी कि इनके पास कार्य व्यवसाय के लिए पैसा नहीं तो पैसा नहीं तो काम कैसे करें? तो हमने फिर उसमें एक योजना बनाई इस योजना के माध्यम से हमने जिला सहकारी बैंकों से सभी साधन सहकारी समितिओं को 10 ₹1 लाख का कैश क्रेडिट लिमिट दिला दी. यानी कार व्यवसाय के लिए ₹1 लाख उसको दिला दिया और उस पर जितना ब्याज आ रहा है वह ब्याज उत्तर प्रदेश सरकार के बजट से दिला दिया. यानी कि ₹1 लाख ब्याज मुक्त उसको मिल गया जिसके कारण वो कार्य व्यवसाय कर रहे हैं. अब यूरिया डीएपी का पहले काम इनके पास था नहीं. कार्य व्यवसाय ही नहीं होता था. तो किसानों ने उन समितियों पे जाना ही बंद कर दिया था. अब यहां पर जाना शुरू किया. तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्णय किया है कि जो कोऑपरेटिव की खाद है वह तो मिलेगी. को क्रिपको की साथ में 50% जो है प्राइवेट की खाद भी इन समितियों को दी जाएगी. तो वहां जब दी जाने लगी धीरे-धीरे अब क्या हुआ कि प्राइवेट जो दुकानें खोल के लोग बैठे थे किसान वहां जा ही नहीं रहा. अब पूरा का पूरा लोड हमारी समितियों पे ही आ रहा है. तो इसके कारण क्योंकि उनको उम्मीद है कि यहां पर किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी. कालाबाजारी नहीं होगा. मिलावट नहीं होगी और जेन्युइन जो रेट है ₹266.50 पैसे का अगर रेट है तो उसी में मिलेगी. ₹1350 की डीएपी तो उसी में मिलेगा और हमने तो और अभी व्यवस्था कर दी है कि बहुत से किसान कह रहे थे कि ₹266 की बजाय ₹270 वसूल कर दें. अब वो पैक्स पे जो बैठा कर्मचारी कह रहे हैं कि हम ₹26 को? तो उस समस्या को दूर करने के लिए अभी हमने एक डेढ़ महीने पहले सभी पैक्स पर हमारी साधन सहकारी समितियों पर हमने क्यूआर कोड लगा दिया. किसान जाए अपना डिजिटल स्कैन करे क्यूआर कोड और डिजिटल भुगतान ₹266.50 पैसे करें. एक पैसा उसको अतिरिक्त नहीं देना और भुगतान करके पूरे ट्रांसपेरेंट तरीके से व्यवस्था को चलाने का काम किया.
"पीएम मोदी जैसा लीडर ग्लोबल लीडर आज तक नहीं मिला"
ना भूतो ना भविष्यति पीएम नरेंद्र मोदी जैसा लीडर ग्लोबल लीडर हमको आज तक ना मिला है और शायद मिलेगा भी नहीं अद्भुत व्यक्तित्व के धनी जो व्यक्ति 4 घंटे मात्र सोता हो और 20 घंटे देश के लिए काम करता हो और मोदी जी के बारे में उन्होंने कहा है कि मतलब आप देखा कभी मंच पे उन्होंने आप झपकी लेते हुए उनको देखा है कभी हर समय अलर्ट मोड में रहते हैं 20 घंटे और उन्होंने कहा एक जगह कहा कि मैं जब जाता हूं बिस्तर पर तो हमें तो सोने में कभी-कभी 15 20 मिनट आधा घंटा 30 मिनट लगते हैं. वह मोदी जी बिस्तर पर जाते 30 सेकंड में सो जाते है. क्या बात है? हां 30 सेकंड में सो जाते हैं. तो यह योगी इस आप कल्पना कर सकते है कितना बड़ा योग साधना करके और वो व्यक्तित्व उन्होंने बढ़ाया. आज ग्लोबल लीडर हैं. आज देखिए कि जिस अमेरिका के राष्ट्रपति के आगे हमारा प्रधानमंत्री जाते थे तीन-तीन दिन इंदिरा गांधी जी जैसे प्रधानमंत्री को तीन दिन इंतजार करना पड़ा था मिलने के लिए. आज मोदी जी ऐसा है कि वहां से टेलीफोन आता है. मोदी जी फोन पर बात नहीं करते हैं. ये ताकत और मजबूती है और माद्दा आज भारत की 140 करोड़ जनता को गौरवान्वित करने का काम मोदी जी ने किया है.
"योगी जी ने बीमारू राज्य को विकसित राज्य बनाया"
योगी जी ने जिस तरह से इस प्रदेश को संभालने का काम किया है. बीमारू राज्य से आज उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य की तरफ ले जाने का काम किया है और जिस तरीके से अपराध और गुंडागर्दी खत्म करने का काम किया इस तरीके से अपराधियों माफियाओं को कोई खत्म करने का सोच भी नहीं सकता. मिट्टी में जिस तरीके से अपराधी माफियाओं को मिलाया. मैं स्वयं भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष रहा हूं. वहां पर इन लोगों की मैंने गुंडागर्दी देखी है और किस तरीके से यहां पर गुंडागर्दी चलती थी पूर्वांचल में. मैं खुद भी उसका भुक्त भोगी हूं और पूरा देखता था कि किस तरीके से अपराध होता था और जिस तरीके से कानून व्यवस्था को ठीक किया है जिस तरीके से माफियाओं को बिल्कुल जमीन में जमीदोष करने का काम किया मुझे लगता है कि योगी जी के अलावा शायद कोई नहीं ऐसा कर सकता. अखिलेश जी अभी भी उस यूफोरिया में जी रहे हैं. उनको एक बार सत्ता अपने पिताजी की वजह से मिली.
स्वयं के कर्मों से सत्ता उनको ना मिली है ना आगे मिलने वाली है और उन्होंने जो घोषित किया 2027 के सत्ताधीश तो मुझे लगता है कि यह लोग सिमट जाएंगे केवल 20 सीट पर और कभी 2047 तक तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही रहने वाली है और इनको कोई अवसर मिलने वाला नहीं है. जब तक इनकी कनेक्टिविटी जनता से नहीं होगी. आप जनता को बांट बांटकर सत्ता प्राप्त करना चाहेंगे तो जनता सब देख रही है कि आप मतलब आपके लिए जो आपका वोट नहीं देगा वो वो आप उसको अपमानित करेंगे केवल उन्हीं को सम्मानित करेंगे जो आप वोट का वोट देगा उसको दूसरे से अपमानित कराने का काम करेंगे मतलब क्या मोदी जी ने ऐसा किया मोदी जी ने कहा सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास आज जो लोग हमको वोट भी नहीं देते हैं क्या हमारी नीतियां कभी 1% भी दिखाई पड़ता है कि हमारी नीतियां केवल उनके हैं जो हमको वोट देने का काम करती है. हम जो वोट नहीं दिए हैं कभी और अभी भी नहीं दे रहे हैं. आगे भी कभी नहीं देंगे उनको भी नीतियों का उसी प्रकार से लाभ मिल रहा है जिस तरीके से बाकी लोगों को मिल रहा है. तो अगर समाज को बांट बांट के वो यहां के मुख्यमंत्री बनना चाहेंगे तो ये जनता उनका सपना कभी पूरा नहीं होगी.
सबसे अच्छा देश कौन सा लगता है?
जननी जन्मभूमि स्वर्गद गश सबसे अच्छा देश तो जहां मेरी जन्मभूमि है मुझको वही अच्छा लगता है और इसी देश को अगर कुछ कमी है तो इसको ही सबसे अच्छा और बनाना है. यही संकल्प है. मैं भी आईआईटी बीएचयू से बीटेक एमटेक किया हूं. उस समय सपना था कि मैं भी अमेरिका चला जाऊं. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काम करते हुए विद्यार्थी परिषद काम करते हुए मैं इधर गया. तो मैं सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा यह मन में आने लगा और फिर इस समाज सेवा में जुड़ गया. आज मैं आप लोगों के आशीर्वाद से मुझे अवसर दिया हमारी पार्टी और हमारी उसने तो मैं आप लोगों के बीच में काम कर रहा हूं.
देश में सबसे अच्छा प्रदेश कौन सा है?
प्रदेश तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश है. उत्तर प्रदेश में भी जिला अगर पूछे तो हमारा शाहजहांपुर सबसे अच्छा है और लखनऊ भी अच्छा है. ये आने वाला वाराणसी भी अच्छा है. वो आपने बता दिया शाहजहांपुर. शाहजहांपुर हमारा अच्छा जिला है. कितना आपसी सामंजस्य के साथ और मतलब सब मिलजुल के काम करते हैं.
राजनीति की सबसे खराब चीज क्या है?
लोगों का जो झूठ बोलने की आदत है ये बहुत खराब है. ये नैतिक पतन इस स्तर पर नहीं होना चाहिए. अनावश्यक कभी-कभी झूठ बोलते हैं. अगर झूठ बोलने के क्रम में ही फिर बाकी चीजें जुड़ती है. मतलब पहले स्तर है अगर हम पहले व्यक्ति का नैतिक पतन होता है. फिर दूसरा नंबर पर आता है आर्थिक पतन होता है और तीसरे नंबर पर चारित्रिक पतन होता है. तो व्यक्ति अगर नैतिक पतन ही नहीं होगा तो आर्थिक पतन नहीं होगा. चारित्रिक पतन भी फिर नहीं होगा. तो एक डिग्रीज बढ़ती चली जाती है. जिसका नैतिक पतन हो गया उसका चारित्रिक वो आर्थिक पतन हो जाएगा. आर्थिक पतन जिसका हो गया तो समझ लीजिए उसका नैतिक पतन पहले हो चुका है और उसके बाद जिसका चारित्रिक पतन हो गया तो समझ लीजिए उसका आर्थिक और नैतिक पतन पहले ही हो चुका है.
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