वाराणसी में शिक्षक बने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, ओपन क्लास में मंत्रियों दी शिक्षा, जानिए क्या पढ़ाया?

    वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरा पर, जहां गंगा निरंतर बहती हैं और मंदिरों की घंटियों से आकाश गूंजता है, वहां एक दिन ऐसा भी आया जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न सिर्फ एक प्रशासक, संत या राजनेता बल्कि एक शिक्षक की भूमिका में नजर आए.

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    Yogi Adityanath In Varanasi: वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरा पर, जहां गंगा निरंतर बहती हैं और मंदिरों की घंटियों से आकाश गूंजता है, वहां एक दिन ऐसा भी आया जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न सिर्फ एक प्रशासक, संत या राजनेता बल्कि एक शिक्षक की भूमिका में नजर आए. काशी के वसंत महिला महाविद्यालय में आयोजित बिरसा मुंडा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में योगी आदित्यनाथ का यह रूप हर किसी को चौंकाने के साथ-साथ गहराई से छू गया. इस दिन उन्होंने सत्ता की कुर्सी नहीं, बल्कि शिक्षा की कुर्सी संभाली.

    प्रकृति की गोद में बसा महाविद्यालय

    गंगा के तट पर बसे इस महाविद्यालय की ओपन क्लास में प्रकृति और परंपरा का अद्भुत समागम दिखाई दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस दौर में कंक्रीट के जंगल फैलते जा रहे हैं, ऐसे में यह परिसर गुरुकुल परंपरा का जीवंत उदाहरण है. कृष्णमूर्ति फाउंडेशन द्वारा संचालित यह महाविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि संवेदनाओं और भारतीय मूल्यों का वाहक भी है. योगी ने यहाँ की प्राकृतिक सादगी और आध्यात्मिक वातावरण की खुलकर प्रशंसा की.

    मंत्री बने विद्यार्थी, प्रिंसिपल बनीं छात्रा

    मुख्यमंत्री के इस अनोखे शिक्षण सत्र में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, अन्य नेता और स्वयं महाविद्यालय की प्रिंसिपल भी विद्यार्थियों की भूमिका में शामिल हुए. यह दृश्य किसी आधुनिक विश्वविद्यालय का नहीं, बल्कि प्राचीन नालंदा या तक्षशिला की झलक दे रहा था. योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों व छात्रों से संवाद करते हुए मदन मोहन मालवीय और एनी विसेंट जैसे शिक्षा पुरुषों की याद दिलाई. उन्होंने कहा, “हमारी जिम्मेदारी है कि महापुरुषों की विरासत को सिर्फ याद न करें, बल्कि उसे आगे बढ़ाएं.”

    पर्यावरण का संदेश

    मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय परिसर में पारिजात का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया. इस अवसर पर उन्हें तुलसी का पौधा भेंट किया गया, जो भारतीय संस्कृति में शुद्धता, ज्ञान और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. महाविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने ग्रुप फोटोग्राफी के लिए भी समय निकाला, लेकिन उस दिन सिर्फ तस्वीरें नहीं ली गईं, बल्कि एक स्मृति, एक प्रेरणा और एक दुर्लभ दृश्य हर किसी के मन में कैद हो गया.

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