Delhi News: दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में एक नया टकराव सामने आया है, जहां जमीन पर कब्जे को लेकर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग और स्थानीय निवासियों के बीच तनातनी अपने चरम पर पहुंच चुकी है. ओखला के नारामऊ क्षेत्र में खसरा नंबर 277 पर बने मकानों और दुकानों पर विभाग ने 5 जून तक की मोहलत दी है. विभाग ने कह दिया गया है कि, "घर खाली कर दो, वरना नुकसान के जिम्मेदार खुद होंगे."
पार्क की जगह बन गई कॉलोनी
दरअसल, जिस जमीन को लेकर विवाद है, वह यूपी सिंचाई विभाग की बताई जा रही है. विभाग का कहना है कि पिछले 40-50 सालों में इस भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर के मकान और दुकानें बना ली गईं. लेकिन स्थानीय लोगों की कहानी कुछ और ही है. उनका दावा है कि यह जमीन उन्होंने किसानों से खरीदी है और उनके पास पूरे कागजात मौजूद हैं.
लाल निशान और बढ़ता गुस्सा
सिंचाई विभाग द्वारा लाल निशान लगाने और नोटिस चस्पा करने के बाद इलाके में तनाव फैल गया है. करीब 150 परिवार और 80 से अधिक इमारतें इस आदेश की जद में हैं. लोगों का कहना है कि यह कोई रातों-रात बसा इलाका नहीं, बल्कि दशकों से यहां की रिहाइश कायम है. उनका सवाल है, “अगर जमीन सरकारी थी, तो इतने सालों तक निर्माण कैसे होता रहा?”
बुलडोजर बनाम जजमेंट
इलाके के वरिष्ठ नागरिकों और पूर्व मुकदमेबाज़ों का दावा है कि कुछ साल पहले कोर्ट ने सिंचाई विभाग के खिलाफ फैसला दिया था, क्योंकि वे जमीन पर अपना अधिकार साबित नहीं कर पाए. इसी वजह से उन्हीं खसरा नंबर के कुछ मकानों को अब नोटिस नहीं मिला है. लोग इसे मिसाल मानकर अब फिर से अदालत जाने की तैयारी में हैं.
"मुकदमा लड़ेंगे, घर नहीं छोड़ेंगे"
यह सिर्फ एक ज़मीन का मसला नहीं, अब यह सम्मान और हक की लड़ाई बन चुकी है. महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई कह रहा है, "हम लड़ेंगे, मरेंगे, लेकिन घर नहीं छोड़ेंगे." फिलहाल, 5 जून की तारीख पास आ रही है और दोनों पक्ष अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हैं. कोई कोर्ट के कागज तैयार कर रहा है, तो कोई बुलडोजर की एंट्री के लिए फोर्स की योजना बना रहा है. लेकिन इतना तय है कि दिल्ली के इस हिस्से में आने वाले दिनों में एक और ज़मीन की लड़ाई सुर्खियां बनने वाली है.
ये भी पढ़ें: झुग्गी बस्तियों में रहने वालों के लिए खुशखबरी, CM रेखा गुप्ता ने किया बड़ा ऐलान, 700 करोड़ के बजट से बनेंगे नए घर