तीन साल से ज्यादा वक्त से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक नए और कहीं अधिक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. एक ओर जहां दोनों देशों की पारंपरिक सेनाएं मोर्चे पर डटी हैं, वहीं दूसरी ओर अब इस जंग में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी तेजी से बढ़ती जा रही है. यूक्रेन के मुताबिक अब तक करीब 75 देशों के मर्सनरी यानी पैसे के लिए लड़ने वाले सैनिक इस युद्ध में कूद चुके हैं. इनमें से कुछ रूस के पक्ष में लड़ रहे हैं, तो कई यूक्रेन की सेना का साथ दे रहे हैं.
यह विकास न केवल इस संघर्ष की जटिलता को बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसके फैलने की आशंका को भी मजबूत कर रहा है. युद्ध विशेषज्ञ मान रहे हैं कि विदेशी मर्सनरीज की भूमिका इस जंग को "ग्लोबल प्रॉक्सी वॉर" की दिशा में धकेल रही है.
दो चीनी नागरिक पकड़े गए, बढ़ा तनाव
हाल ही में यूक्रेनी सेना ने दो चीनी नागरिकों को फ्रंटलाइन पर लड़ते हुए गिरफ्तार किया. उनके पास से चीन के आधिकारिक पासपोर्ट भी बरामद हुए. इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है क्योंकि यह घटना केवल रूस-यूक्रेन युद्ध तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें चीन की ताइवान नीति की झलक भी देखी जा रही है.
कई सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि चीन, यूक्रेन युद्ध में अपने नागरिकों को लड़ने के लिए भेजकर अपने सैनिकों को युद्ध का वास्तविक अनुभव दिलवा रहा है, जो भविष्य में ताइवान पर संभावित हमले के दौरान उसके काम आ सकता है. इसके साथ ही, वह रूस के साथ अपने सैन्य और रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की भी कोशिश कर रहा है, ताकि भविष्य के संघर्षों में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला न पड़ जाए.
मिसाइल टेस्ट से बढ़ा डर
यूक्रेन की ओर से यह तीसरी बार है जब उसने चीन पर यूक्रेन युद्ध में सीधे या परोक्ष रूप से शामिल होने का आरोप लगाया है. वहीं चीन की हालिया गतिविधियों से इन आशंकाओं को और बल मिला है. सितंबर 2024 में चीन ने अपनी सबसे आधुनिक इंटरकॉंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) DF-31AG का टेस्ट किया था, जिसका वीडियो हाल ही में जारी किया गया.
यह मिसाइल 13,500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है और इसमें परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता है. इसका मतलब है कि यह मिसाइल अमेरिका समेत कई देशों को निशाना बना सकती है. चीन द्वारा इसे अपग्रेड किया जाना इस बात का संकेत है कि वह सिर्फ ताइवान ही नहीं, बल्कि भविष्य के किसी बड़े वैश्विक संघर्ष की तैयारी में भी जुटा है.
आधी दुनिया की जंग में कूदने की आशंका
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष अब दो देशों की लड़ाई नहीं रह गया है. इसमें अमेरिका, यूरोपीय संघ, ईरान, चीन और अब दर्जनों देशों के मर्सनरी शामिल हो चुके हैं. इससे यह डर बढ़ता जा रहा है कि अगर जल्द ही इस जंग को कूटनीति से नहीं रोका गया, तो आधी दुनिया इसकी चपेट में आ सकती है. अभी तक जो युद्ध यूक्रेन की सीमाओं तक सीमित था, वह अब धीरे-धीरे एक ऐसे जाल में तब्दील हो रहा है, जिसमें वैश्विक महाशक्तियां अपनी-अपनी रणनीतिक चालें चल रही हैं. विदेशी लड़ाकों की एंट्री, हथियारों के बड़े सौदे, परमाणु हथियारों की तैनाती और युद्ध का अनुभव जुटाना – ये सभी संकेत आने वाले एक बड़े संकट की ओर इशारा करते हैं.
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