पाकिस्तानी सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के हालिया बयानों ने एक बार फिर क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को झकझोर कर रख दिया है. हालांकि पाकिस्तानी पत्रकार और पूर्व सैन्य अधिकारी चौधरी ने मुनीर की किसी भी तरह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से इनकार किया है, लेकिन वैश्विक मीडिया, विशेषकर द इकोनॉमिस्ट, ने उन्हें मई 2025 के बाद से "शक्ति के केंद्र" के रूप में चिन्हित किया है.
मुनीर का 16 अप्रैल को दिया गया भाषण, जिसमें उन्होंने 'दो राष्ट्र सिद्धांत' की बात करते हुए कश्मीर को पाकिस्तान की "शरीर की मुख्य नस" बताया, सिर्फ एक सैन्य अधिकारी की राय नहीं बल्कि एक ठोस वैचारिक रुख को दर्शाता है. चौधरी भले ही इसे मुनीर की व्यक्तिगत धार्मिक आस्था बताते हों, लेकिन इसे पूरी तरह गैर-राजनीतिक ठहराना मुश्किल है.
पूर्वी सीमा की धमकी और भारत की चिंता
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुनीर ने इस बार "पूर्व की ओर हमले" की बात कही है — एक ऐसी रणनीति जो अब तक पाकिस्तान की पारंपरिक पश्चिमी सीमा (जम्मू-कश्मीर और पंजाब) तक ही सीमित रहती थी. लेकिन अब उनका रुख भारत के पूर्वी हिस्सों की ओर है, जो देश के लिए एक नई और पेचीदा चुनौती बनता जा रहा है.
काफी संवेदनशील है ये क्षेत्र
इस नई धमकी का मतलब है कि भारत को अब अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र में सुरक्षा रणनीति को पुनः परिभाषित करना होगा. यह क्षेत्र न केवल सामरिक रूप से संवेदनशील है, बल्कि चीन के साथ सीमा साझा करने के कारण पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति में है. ऐसे में पाकिस्तानी नेतृत्व की तरफ से पूर्वी सीमा की ओर इशारा करना भारत की सुरक्षा नीति को और जटिल बना सकता है. अब भारत को अपनी पूर्वी सैन्य तैयारियों, इंटेलिजेंस नेटवर्क, और ढांचागत सुदृढ़ता पर और अधिक ध्यान देना होगा. यह बयान हल्के में लेने जैसा नहीं है, क्योंकि इसमें केवल सैन्य रणनीति ही नहीं, बल्कि वैचारिक आक्रामकता की भी झलक दिखाई देती है.
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