अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य सहायता के तहत भेजे जा रहे हथियारों की आपूर्ति को फिलहाल रोकने का फैसला किया है. यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब रूस ने यूक्रेन पर अपने हवाई हमलों की तीव्रता और संख्या दोनों बढ़ा दी हैं. अमेरिका की इस नई नीति के पीछे उसके अपने सैन्य भंडार में तेजी से हो रही कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकताएं मानी जा रही हैं.
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह समीक्षा प्रक्रिया महीनों से चल रही थी, जिसका मकसद अमेरिकी रक्षा तैयारियों को बेहतर बनाना और रणनीतिक संसाधनों के उपयोग को संतुलित करना था. ट्रंप प्रशासन के अंतर्गत की गई इस नीति समीक्षा के बाद यूक्रेन को भेजे जाने वाले हथियारों पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला लिया गया है.
पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पास अब कई महत्वपूर्ण हथियार जैसे कि पैट्रियट और स्टिंगर एयर डिफेंस मिसाइलें, 155 मिमी आर्टिलरी गोले, GMLRS और हेलफायर जैसी मिसाइलों का भंडार घटकर सुरक्षा मानकों से नीचे पहुंच चुका है. अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अगर ये संसाधन लगातार यूक्रेन भेजे जाते रहे, तो अमेरिका की अपनी सैन्य तैयारी पर असर पड़ सकता है.
रूस के हमले और यूक्रेनी प्रतिक्रिया
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में पश्चिमी देशों से आग्रह किया था कि रूस द्वारा की जा रही लगातार रात के समय की बमबारी को रोकने के लिए यूक्रेन की वायु सुरक्षा को और मजबूत किया जाए. जून माह में रूस ने यूक्रेन पर 330 से अधिक मिसाइलें दागीं, जिनमें 80 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें, 5,000 से ज्यादा ड्रोन और इतने ही ग्लाइडिंग बम शामिल थे.
यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा ने इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि इस समय यूक्रेन को अपने हवाई सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की सख्त जरूरत है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका से सप्लाई नहीं मिलती, तो यूक्रेन की रक्षात्मक क्षमता बुरी तरह प्रभावित होगी.
वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक समीकरण
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को सहायता देने में कटौती से पश्चिमी देशों की एकजुटता पर भी सवाल उठने लगे हैं. यूरोपीय सहयोगी देशों का मानना है कि अमेरिका की यह नीति युद्ध के समीकरण को रूस के पक्ष में झुका सकती है. कई यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को सहायता प्रदान की है, लेकिन उनकी क्षमता सीमित है और वे अकेले अमेरिका के रोल की भरपाई नहीं कर सकते.
रूस की ओर से भी इस फैसले का स्वागत किया गया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि “यूक्रेन को जितने कम हथियार मिलेंगे, रूस का विशेष सैन्य अभियान उतनी जल्दी अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा.”
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