आर्मेनिया, ग्रीस, साइप्रस... भारत बना रहा है पश्चिम एशिया का नया QUAD! दुश्मनों की बंद होगी बोलती

    बदलते वैश्विक समीकरणों और पश्चिम एशिया में बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच भारत अब एक नए क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग तंत्र की ओर कदम बढ़ा रहा है.

    India is creating a new QUAD of West Asia
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    एथेंस/नई दिल्ली: बदलते वैश्विक समीकरणों और पश्चिम एशिया में बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच भारत अब एक नए क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग तंत्र की ओर कदम बढ़ा रहा है. ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया जैसे देशों के साथ भारत का उभरता गठबंधन एक संभावित "पश्चिम एशिया QUAD" की झलक देता है — ऐसा समूह जो क्षेत्रीय स्थिरता, संप्रभुता की रक्षा और साझा रणनीतिक हितों के इर्द-गिर्द केंद्रित है.

    इस गठबंधन का उद्देश्य किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवाद, विस्तारवादी गतिविधियों और भू-राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ाना है.

    भारत और आर्मेनिया: सामरिक सहयोग की ऊंचाई

    हाल ही में भारत और आर्मेनिया के रिश्तों में असाधारण तेजी आई है. जब ईरान-इज़राइल संघर्ष के बीच भारत ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की योजना बनाई, तो आर्मेनिया ने प्रमुख सहायता प्रदान की. नूरदुज़-अगारक सीमा के ज़रिए 100 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया — यह दोनों देशों के बीच गहराते विश्वास का प्रमाण है.

    भारत ने आर्मेनिया को हाल के वर्षों में रक्षा उपकरण (जैसे पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम और एंटी-टैंक मिसाइल) भी निर्यात किए हैं, जिससे यह सहयोग रणनीतिक भागीदारी में बदलता जा रहा है.

    साइप्रस: भारत का भरोसेमंद यूरोपीय साझेदार

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साइप्रस दौरे के दौरान भारत ने साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन की खुली घोषणा की — यह संकेत था कि भारत, तुर्की के उत्तरी साइप्रस कब्जे को अस्वीकार करता है.

    भारत-साइप्रस रिश्तों को अब ‘स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप’ का दर्जा मिल चुका है, और निकट भविष्य में रक्षा सहयोग और हथियारों की संभावित डील, जैसे ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति, इस रिश्ते को नई गति दे सकती है.

    ग्रीस: भारत का यूरोप में रणनीतिक प्रवेश द्वार

    भारत और ग्रीस के संबंधों में 2023 एक निर्णायक मोड़ लेकर आया, जब प्रधानमंत्री मोदी एथेंस की ऐतिहासिक यात्रा पर गए. इस दौरान भारत और ग्रीस ने ‘कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप’ की घोषणा की और सैन्य सहयोग, नौसेना अभ्यास और रक्षा तकनीक साझेदारी को लेकर एक स्पष्ट रोडमैप तय किया.

    दोनों देशों के साझा हित — विशेषकर पाकिस्तान और तुर्की से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को लेकर — उन्हें एक स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार बनाते हैं. भारत की नौसेना के युद्धपोत अब भूमध्य सागर के अभियानों के दौरान ग्रीस में नियमित रूप से लंगर डालते हैं.

    क्या यह नया ‘QUAD’ जवाबी रणनीति है?

    विश्लेषकों का मानना है कि यह उभरता हुआ चार-देशीय सहयोग — भारत, ग्रीस, साइप्रस और आर्मेनिया — किसी औपचारिक सैन्य गठबंधन के बजाय राजनयिक, सामरिक और सुरक्षा हितों की अभिव्यक्ति है.

    यह गठबंधन ऐसे समय में बन रहा है, जब तुर्की, पाकिस्तान और अजरबैजान की तिकड़ी क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. विशेष रूप से तुर्की का पाकिस्तान को सैन्य समर्थन देना और अजरबैजान का बढ़ता आक्रामक रुख चिंता का विषय बना हुआ है.

    ये भी पढ़ें- बस एक फोन कॉल और बदल जाता पाकिस्तान का नक्शा, घुसने को तैयार थी भारतीय सेना, कारगिल जंग की अनसुनी कहानी