'भारत और चीन रूस-यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे...' ट्रंप ने UNGA में उगला जहर, टैरिफ लगाने को कहा

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन के दौरान भारत और चीन पर यूक्रेन युद्ध के फाइनेंसिंग का आरोप लगाया.

    Trumps big accusation against India and China at UNGA
    Image Source: Social Media

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन के दौरान भारत और चीन पर यूक्रेन युद्ध के फाइनेंसिंग का आरोप लगाया. ट्रंप ने अपने विशिष्ट अंदाज में इस बार मंच से जो कुछ कहा, उसने न केवल भारत और चीन जैसे बड़े देशों को कटघरे में खड़ा कर दिया, बल्कि पूरी दुनिया की कूटनीति में हलचल भी मचा दी. यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर ट्रंप ने भारत और चीन पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्हें युद्ध का प्राथमिक वित्तपोषक बताया.

    ट्रंप ने भारत और चीन पर उठाया सवाल

    अपने भाषण के दौरान ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत और चीन रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को आर्थिक ताकत दे रहे हैं. उनका दावा था कि ये देश रूसी तेल खरीदने के माध्यम से सीधे उस युद्ध को फंड कर रहे हैं, जिसने हजारों जिंदगियों को बर्बाद कर दिया है. उन्होंने सवाल उठाया, "सोचिए, वे अपने ही खिलाफ युद्ध को फंड कर रहे हैं. किसने कभी ऐसा सुना है?"

    ट्रंप के अनुसार, जब अमेरिका रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है, तब नाटो देशों ने भी ऊर्जा क्षेत्र में उतनी सख्ती नहीं दिखाई जितनी ज़रूरी थी. उन्होंने कहा कि अमेरिका जल्द ही रूस को आर्थिक रूप से दबाने के लिए कड़े टैरिफ लगाने को तैयार है, लेकिन इसके असर के लिए यूरोपीय देशों को भी अमेरिका के साथ मिलकर यही नीति अपनानी होगी.

    टैरिफ के जवाब में भारत ने दी सधी हुई प्रतिक्रिया

    ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत पर अमेरिकी टैरिफ पहले ही काफी बढ़ा दिए गए हैं. अब उन्होंने रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही, जिससे कुल अमेरिकी टैरिफ भारत पर 50% तक पहुंच गया है जो कि दुनिया में सबसे अधिक है.

    भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया न देते हुए, कूटनीतिक रूप से केवल इतना कहा कि वह किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, अपने राष्ट्रीय और आर्थिक हितों की रक्षा करेगा और ज़रूरत पड़ने पर सभी आवश्यक कदम उठाएगा. भारत का यह जवाब परिपक्व और संतुलित रहा, लेकिन यह ज़ाहिर कर गया कि वह ट्रंप की इस सार्वजनिक टिप्पणी से बिल्कुल खुश नहीं है.

    संयुक्त राष्ट्र पर फिर बरसे ट्रंप

    ट्रंप का गुस्सा सिर्फ भारत और चीन तक सीमित नहीं था. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि यह संस्था अपनी मूल जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा, "मैंने कई युद्ध रुकवाए, लेकिन UN ने मुझसे कभी संपर्क नहीं किया. वे बस पत्र लिखते हैं, खोखले शब्दों वाले पत्र. पर युद्ध खोखले शब्दों से नहीं रुकते."

    ट्रंप का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र में असीम संभावनाएं हैं, लेकिन वह उन संभावनाओं को धरातल पर उतारने में असमर्थ रहा है. उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जब तक इस संस्था में ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक इसका अस्तित्व सिर्फ दिखावे तक सीमित रहेगा.

    अमेरिका दुनिया का सबसे अच्छा देश है- ट्रंप

    भाषण के दौरान ट्रंप अपने पुराने अंदाज में अमेरिका की जमकर तारीफ करने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा कि आज अमेरिका दुनिया का सबसे ज्यादा "डिमांड में" रहने वाला देश है, जहां पूरी दुनिया से व्यापार, निवेश और सम्मान आ रहा है. उन्होंने अमेरिका को 'व्यापार के लिए दुनिया का सबसे अच्छा देश' बताया और दावा किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका को पहले से कहीं ज्यादा सम्मान मिला है.

    उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था उनके पहले कार्यकाल की तुलना में अब "बड़ी और बेहतर" है, जिसे उन्होंने 'दुनिया के इतिहास में सबसे महान' बताया.

    बाइडन पर निशाना, अपनी सरकार की तारीफ

    ट्रंप ने यूएन जैसे वैश्विक मंच पर भी राजनीतिक कटाक्ष करना नहीं छोड़ा. भाषण की शुरुआत में ही उन्होंने दो बार जो बाइडन प्रशासन की आलोचना की और उसकी असफलताओं को गिनाया. उन्होंने कहा कि अमेरिका की स्थिति आज जो भी है, वह उनके (ट्रंप के) शासन की नीतियों का परिणाम है, न कि वर्तमान प्रशासन की उपलब्धि.

    ट्रंप ने आत्मप्रशंसा और विपक्ष की आलोचना के इस फॉर्मूले को यूएन में भी खुले तौर पर अपनाया, हालांकि ऐसा रुख इस तरह के राजनयिक मंचों पर आमतौर पर पसंद नहीं किया जाता.

    ये भी पढ़ें- क्या UNSC का स्थायी सदस्य बनेगा भारत? संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी किया समर्थन, चीन होगा परेशान!