इंडिगो की लेटलतीफी से यात्रियों का बुरा हाल, भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस पर क्यों छाए संकट के बादल?

    Indigo Crisis Summary: भारतीय विमानन क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाने वाली इंडिगो एयरलाइंस इस वक्त अपने इतिहास के सबसे कठिन संकट से गुजर रही है. पिछले कुछ दिनों में एयरलाइन की ऑन-टाइम परफॉर्मेंस (OTP) में भारी गिरावट आई है.

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    Indigo Crisis Summary: भारतीय विमानन क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाने वाली इंडिगो एयरलाइंस इस वक्त अपने इतिहास के सबसे कठिन संकट से गुजर रही है. पिछले कुछ दिनों में एयरलाइन की ऑन-टाइम परफॉर्मेंस (OTP) में भारी गिरावट आई है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उड़ानें रद्द हो रही हैं, और हवाई अड्डों पर अफरातफरी का माहौल है. सवाल यह है कि क्या सिर्फ क्रू की कमी ही इसका कारण है, या इसके पीछे और भी जटिल बातें हैं?

    इंडिगो की विशालता और परिचालन क्षमता

    इंडिगो एयरलाइंस का परिचालन भारतीय विमानन उद्योग में बेहद महत्वपूर्ण है. एयरलाइन के पास 434 विमान हैं और यह रोज़ाना 2,200 से अधिक उड़ानें संचालित करती है. साल 2025 के लिए इंडिगो का राजस्व 8,08,029 मिलियन रुपये था और यह 11.9 करोड़ यात्रियों को सेवा प्रदान करती है. इसके विशाल नेटवर्क के कारण यह भारतीय एयरलाइनों में सबसे बड़ी है, लेकिन इसी आकार के साथ आई समस्याएं अब गंभीर रूप ले रही हैं.

    स्थिति कब और क्यों बिगड़ी?

    इंडिगो का संकट अचानक नहीं आया, लेकिन पिछले चार दिनों में इसके ऑन-टाइम परफॉर्मेंस (OTP) में भारी गिरावट आई है. 1 दिसंबर को OTP 50% पर पहुंची, जबकि 4 दिसंबर तक यह ऐतिहासिक निचले स्तर 8.5% तक गिर गई. इसका मुख्य कारण नए एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियमों का लागू होना है, जिसने एयरलाइन की परिचालन क्षमता पर असर डाला है.

    नए एफडीटीएल नियम और उनकी चुनौती

    एफडीटीएल नियम को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा सुरक्षा के उद्देश्य से लागू किया गया है. इन नियमों में खास बदलाव किया गया है, जिससे क्रू की थकान को कम किया जा सके. अब रात के समय उड़ान भरने वाले पायलटों के लिए लैंडिंग की संख्या को सीमित कर दिया गया है, जिससे एयरलाइन को अधिक पायलट्स की आवश्यकता हो गई है. इस बदलाव के बाद, इंडिगो को रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक दो लैंडिंग से अधिक नहीं कर सकते. इसका असर सीधे तौर पर एयरलाइन के संचालन पर पड़ा है, क्योंकि इसके अधिकतर विमान देर रात और सुबह जल्दी उड़ान भरते हैं.

    पायलट संगठनों का आरोप

    जहां इंडिगो का कहना है कि वह नए नियमों के अनुरूप सुधार करने की कोशिश कर रही है, वहीं फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) और एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA) ने इसे कुप्रबंधन करार दिया है. उनका आरोप है कि इंडिगो को नए नियमों के बारे में दो साल पहले जानकारी दी गई थी, लेकिन फिर भी उन्होंने समय रहते पायलटों की भर्ती नहीं की और हायरिंग फ्रीज़ लगा दिया.

    इंडिगो की डीजीसीए से राहत की अपील

    इंडिगो ने डीजीसीए से 10 फरवरी 2026 तक राहत की मांग की है, ताकि वह रात के समय उड़ानों के संचालन में सुविधा प्राप्त कर सके. एयरलाइन का कहना है कि यह कदम यात्रियों की असुविधा को कम करने और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए जरूरी है.

    इंडिगो पर संकट का ज्यादा असर क्यों?

    इंडिगो के मुकाबले एयर इंडिया और अन्य एयरलाइनों को इस संकट का उतना बड़ा असर नहीं हुआ है. इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं:

    लो-कॉस्ट मॉडल और उच्चतम यूटिलाइजेशन: इंडिगो एक लो-कॉस्ट एयरलाइन है और इसका मुनाफा विमानों और क्रू के अधिकतम उपयोग पर निर्भर करता है. इसके विमान और क्रू अन्य एयरलाइनों की तुलना में अधिक घंटे काम करते हैं.

    ज्यादा उड़ानें: इंडिगो के पास 400 से अधिक विमान हैं, जो 90 घरेलू और 45 अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों से जुड़े हैं. इसका मतलब है कि यह एयरलाइन रात के समय ज्यादा हाई-वॉल्यूम फ्लाइट्स संचालित करती है, जिन पर अब कैप लग गया है.

    लीन स्टाफिंग सिस्टम: इंडिगो कम से कम कर्मचारियों के साथ काम करती है, इसलिए उड़ानों की रद्दीकरण का असर कहीं ज्यादा पड़ा है.

    5 दिसंबर को हवाई अड्डे पर स्थिति

    5 दिसंबर को दिल्ली एयरपोर्ट से कई महत्वपूर्ण उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे यात्रियों में भारी गुस्सा देखने को मिला. रात तक, इंडिगो की सभी प्रस्थान उड़ानें रद्द हो गईं, जिससे हवाई अड्डे पर अफरातफरी मच गई.

    डीजीसीए ने वापस लिया सख्त नियम

    डीजीसीए ने साप्ताहिक विश्राम से जुड़े कुछ सख्त नियमों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है, जिससे एयरलाइनों को राहत मिली है. अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि इंडिगो को अपनी परिचालन स्थिति को ठीक करने में मदद मिलेगी.

    आगे क्या होगा?

    इंडिगो के लिए यह संकट एक वेक-अप कॉल साबित हो सकता है. जहां एक ओर लीन मॉडल ने एयरलाइन को मुनाफे में रखा था, वहीं अब यह कड़े सुरक्षा नियमों और क्रू की कमी के कारण दिक्कतें पैदा कर रहा है. डीजीसीए द्वारा कुछ नियमों में छूट मिलने से राहत मिल सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से सही होने में थोड़ा वक्त लगेगा.

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