गाजा में लगातार बिगड़ते हालात और बढ़ते मानवीय संकट ने वैश्विक समुदाय को चिंतित कर दिया है. इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का एक तीखा बयान सामने आया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है. ट्रम्प ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर इजराइल ने गाजा में युद्ध को तुरंत नहीं रोका, तो अमेरिका उसके साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर सकता है.
गाजा में तबाही, बच्चों तक नहीं बख्शे गए
गाजा में पिछले कुछ हफ्तों से इजराइली हमलों की तीव्रता लगातार बढ़ती जा रही है. बीते 24 घंटों में कम से कम 136 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 15 मई से अब तक इस संघर्ष में 500 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. अल-हसायनेह स्कूल, जिसे अस्थायी शरण स्थल में बदला गया था, वहां हुए हमले में कई बच्चों की जान चली गई. ट्रम्प ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा, "यहां लोग भूख से मर रहे हैं, यह अब रुकना चाहिए."
नेतन्याहू पर बढ़ता दबाव
डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी सीधे तौर पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की रणनीति और नेतृत्व पर सवाल खड़े करती है. उन्होंने पहले भी कहा था कि "अगर 20 जनवरी 2025 तक सभी बंधकों को रिहा नहीं किया गया, तो मध्य पूर्व और अधिक अशांत हो जाएगा." नेतन्याहू की हमास के खिलाफ सख्त कार्रवाई ने इजराइल को वैश्विक आलोचना के घेरे में ला खड़ा किया है.
युद्धविराम की बढ़ती मांग
इजराइल की गाजा पर जारी नाकाबंदी अब तीसरे महीने में पहुंच चुकी है, जिससे वहां जीवन-जरूरी चीजों की भयावह कमी हो गई है. भोजन, दवाइयां और ईंधन खत्म होने की कगार पर हैं. संयुक्त राष्ट्र, अरब लीग और कई पश्चिमी देशों ने युद्धविराम की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया है. कतर में चल रही हमास-इजराइल वार्ता भी अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है.
ट्रम्प की चुप्पी पर बढ़ रही नाराज़गी
हालांकि ट्रम्प की चेतावनी के बाद कुछ उम्मीद जगी थी कि वे पश्चिम एशिया में सक्रिय भूमिका निभाएंगे, लेकिन उनके इजराइल दौरे से परहेज़ करने पर कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने नाराज़गी जताई है. गाजा में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं और फिलिस्तीन के साथ-साथ मिस्र, जॉर्डन और अन्य अरब राष्ट्रों ने इसे “नरसंहार” की संज्ञा दी है.
अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
अरब लीग के बगदाद सम्मेलन में गाजा में हो रही हिंसा को लेकर अमेरिका पर सीधा दबाव डाला गया कि वह इजराइल को रोके और युद्धविराम को सुनिश्चित करे. हालांकि नेतन्याहू अब भी अपनी सैन्य रणनीति पर कायम हैं और कोई नरमी दिखाने के मूड में नहीं हैं.