भारतीय दवाओं पर 250% टैरिफ लगाएंगे ट्रंप, अमेरिका में कीमतें होंगी दोगुनी, इन कंपनियों को होगा नुकसान

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को चेताते हुए बड़ा आर्थिक कदम उठाने का संकेत दिया है.

    Trump threatens to impose 250% tariff on Indian medicines
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को चेताते हुए बड़ा आर्थिक कदम उठाने का संकेत दिया है. इस बार निशाने पर है भारत का मजबूत और विश्वसनीय फार्मास्युटिकल सेक्टर, जिसकी जेनेरिक दवाइयों पर ट्रंप ने 250% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी है.

    CNBC को दिए गए इंटरव्यू में ट्रंप ने खुलकर कहा कि अमेरिका अब अपनी दवा जरूरतों के लिए भारत और चीन जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहता. उनका लक्ष्य है कि दवाइयों का उत्पादन अमेरिका के भीतर ही किया जाए, और इसके लिए विदेशी कंपनियों पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा, ताकि वे अमेरिका लौटने को मजबूर हों.

    250% टैरिफ: भारतीय फार्मा उद्योग के लिए बड़ा झटका?

    भारत का फार्मा उद्योग वैश्विक स्तर पर एक "जेनेरिक पावरहाउस" के रूप में जाना जाता है. अमेरिका की जेनेरिक दवाओं की ज़रूरत का करीब 40% हिस्सा भारत से आता है, जिसमें जीवनरक्षक दवाएं, एंटीबायोटिक्स, एंटीडिप्रेसेंट्स, कैंसर और हृदय रोग की दवाएं शामिल हैं.

    अगर ट्रंप अपने वादे पर अमल करते हैं और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स पर 250% तक आयात शुल्क लगा देते हैं, तो भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में टिकना बेहद कठिन हो जाएगा. उनके प्रोडक्ट की कीमतें इतनी बढ़ जाएंगी कि प्रतिस्पर्धा खत्म हो सकती है.

    इसका सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों की कमाई, वैश्विक हिस्सेदारी और शोध-विकास (R&D) पर पड़ेगा. मजबूरन कई कंपनियों को या तो अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स शुरू करनी पड़ेंगी या फिर वहां से पूरी तरह पीछे हटना पड़ सकता है.

    अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी होगा नुकसान

    हालांकि ट्रंप का यह कदम ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत लिया गया है, लेकिन इसका खामियाजा अमेरिकी नागरिकों को भी भुगतना पड़ सकता है.

    भारत से आने वाली जेनेरिक दवाएं न केवल सस्ती होती हैं, बल्कि उच्च गुणवत्ता की भी होती हैं. अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम इन सस्ती दवाओं की बदौलत हर साल अरबों डॉलर की बचत करता है. अगर ये दवाएं महंगी हो जाएंगी, तो इलाज का खर्च आम नागरिकों के लिए भारी हो जाएगा.

    इसके अलावा, अगर भारतीय कंपनियां बाजार छोड़ने लगेंगी तो अमेरिका में दवा की उपलब्धता और विविधता दोनों प्रभावित होंगी, जिससे एक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है.

    भारत के साथ ट्रेड वॉर की शुरुआत?

    हाल ही में ट्रंप ने भारत पर अन्य क्षेत्रों में भी टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी थी. 7 अगस्त 2025 से भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है. अब फार्मा सेक्टर को भी इस युद्ध में घसीटने की तैयारी है.

    विश्लेषकों का मानना है कि यह ट्रेड वॉर की शुरुआत हो सकती है, जो अमेरिका और भारत के आर्थिक रिश्तों को नई चुनौती देगी. भारत के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है, वहीं अमेरिका को भी भारत की कुशल निर्माण क्षमता और कम लागत वाली दवाओं की जरूरत है.

    कोरोना काल में ट्रंप ने भारत से मांगी थी मदद

    ट्रंप के वर्तमान रवैये को देखते हुए यह याद करना जरूरी है कि कोरोना महामारी के दौरान वही ट्रंप थे, जिन्होंने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) की आपातकालीन सप्लाई मांगी थी.

    6 अप्रैल 2020 को ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात कर भारत से बड़ी मात्रा में HCQ भेजने का आग्रह किया था. उन्होंने तब कहा था कि भारत की यह मदद "गेम चेंजर" साबित होगी और वे इसके लिए आभारी हैं.

    हालांकि, कुछ दिनों बाद ट्रंप ने यह भी कहा था कि अगर भारत ने दवाएं नहीं भेजीं, तो वह "प्रतिशोध" लेंगे. यह बयान बताता है कि कैसे ट्रंप की विदेश नीति में तुरंत लाभ और प्रतिक्रियात्मक रणनीति हावी रहती है.

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