Trump on India Pakistan Ceasefire: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार किए जा रहे इस दावे कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया है, पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत किसी भी बाहरी ताकत से निर्देश लेने वाला देश नहीं है और देश की आंतरिक मामलों को संभालने की जिम्मेदारी केवल भारतीय नेतृत्व पर है.
भारत अपने फैसले खुद लेता है: उपराष्ट्रपति का बयान
धनखड़ ने कहा कि भारत पूरी तरह से एक संप्रभु राष्ट्र है, और यह किसी भी बाहरी ताकत से अपने मामलों को चलाने के लिए निर्देश नहीं लेता. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय नेतृत्व के निर्णयों को कोई अन्य देश प्रभावित नहीं कर सकता. उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोग किसी भी बाहरी नैरेटिव से प्रभावित न हों और यह समझें कि भारत को अपने मामलों को संभालने की पूरी स्वतंत्रता है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने अन्य देशों के साथ सहयोग करता है, एक दूसरे का सम्मान करता है और कूटनीतिक संवाद में विश्वास करता है, लेकिन अंततः हर महत्वपूर्ण निर्णय भारत के नेतृत्व द्वारा लिया जाता है.
विपक्ष की प्रतिक्रिया और सरकार से स्पष्टीकरण की मांग
उपराष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब विपक्ष डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे पर सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहा है. विपक्ष ने यह सवाल उठाया है कि क्या भारत को ट्रंप के हस्तक्षेप की आवश्यकता थी, और क्या वाकई भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में अमेरिकी राष्ट्रपति की कोई भूमिका थी.
क्रिकेट का उदाहरण देते हुए समझाया
अपने बयान में उपराष्ट्रपति ने क्रिकेट का एक दिलचस्प उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि हर खराब गेंद को खेलना जरूरी नहीं होता. इस बात को समझाने के लिए उन्होंने उदाहरण दिया कि क्रिकेट पिच पर अच्छा खिलाड़ी वही होता है जो खराब गेंदों को छोड़ देता है, भले ही वे लुभावनी क्यों न हों. उन्होंने कहा कि ऐसे गेंदों को खेलने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इससे आपकी सफलता पर असर पड़ सकता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो खिलाड़ी इन लुभावनी गेंदों को खेलते हैं, उनके पास विकेटकीपर और गली में फील्डर होते हैं, ताकि वे उन्हें रोक सकें.
नैतिक और राजनीतिक बाउंड्रीज़
धनखड़ का बयान राजनीतिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था. उन्होंने कहा कि भारत के अंदरूनी मामलों पर बाहरी ताकतों का कोई प्रभाव नहीं हो सकता, और सरकार को किसी भी प्रकार के दबाव से प्रभावित होने की कोई जरूरत नहीं है. इस प्रकार की टिप्पणियों ने भारत के संप्रभु अधिकारों और स्वतंत्रता को फिर से रेखांकित किया. भारत के उपराष्ट्रपति ने इस मामले में चुप रहने की बजाय स्पष्ट रूप से जवाब दिया, और यह साफ किया कि भारत अपने निर्णय खुद लेता है, चाहे वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो.
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