दुनिया की निगाहें एक बार फिर अमेरिका और रूस के शीर्ष नेताओं की बातचीत पर टिकी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक गंभीर और निर्णायक बातचीत हुई है. यह बातचीत ऐसे वक्त हुई है जब यूक्रेन युद्ध अपने भीषण चरण में है और मध्य पूर्व में भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं.
1 घंटे की गहन चर्चा
क्रेमलिन के वरिष्ठ अधिकारी यूरी यूशाकोव के अनुसार, यह बातचीत करीब एक घंटे तक चली, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई. यूक्रेन युद्ध, ईरान-इजराइल संघर्ष और वैश्विक स्थिरता जैसे विषयों को केंद्र में रखा गया. ट्रंप ने इस बातचीत में स्पष्ट तौर पर कहा कि यूक्रेन संघर्ष को जल्द रोकना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि यह युद्ध न सिर्फ यूरोप बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक होता जा रहा है. इस पर पुतिन ने प्रतिक्रिया देते हुए संधि की संभावना तो जताई, लेकिन साथ ही अपनी शर्तें भी साफ कर दीं.
पुतिन की ट्रंप को दो टूक
बातचीत के दौरान पुतिन ने ट्रंप से साफ-साफ कहा कि रूस उस समय तक पीछे नहीं हटेगा, जब तक वह अपने रणनीतिक लक्ष्य को पूरा नहीं कर लेता. उन्होंने यह भी दोहराया कि यूक्रेन के साथ शांति वार्ता सिर्फ कीव और मास्को के बीच होनी चाहिए, बाहरी हस्तक्षेप से मामला और उलझ सकता है. इस पर ट्रंप ने सहमति जताई कि शांति के प्रयास प्रत्यक्ष वार्ता से ही संभव हैं. हालांकि, अमेरिकी हथियारों की आपूर्ति रोकने पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई, जो कि यूक्रेन के लिए एक अहम मुद्दा रहा है.
मिडिल ईस्ट पर भी हुई बात
बातचीत सिर्फ यूक्रेन तक ही सीमित नहीं रही. ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भी गहन विचार-विमर्श हुआ. पुतिन ने जोर देकर कहा कि मध्य पूर्व में शांति बनाए रखने के लिए ईरान की संप्रभुता की रक्षा जरूरी है. ट्रंप ने इस पर सहमति जताते हुए क्षेत्रीय स्थिरता की आवश्यकता को प्राथमिकता दी.
यूक्रेन को हथियार न देने पर अड़े ट्रंप
इससे पहले ट्रंप स्पष्ट कर चुके हैं कि वे यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति रोकने के पक्ष में हैं. उनका तर्क है कि अमेरिका को पहले अपने सैन्य भंडार को दुरुस्त करना चाहिए. हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में यूक्रेन को समर्थन की सबसे अधिक जरूरत है, और अमेरिका का यह कदम उनकी सैन्य क्षमताओं को कमजोर करेगा.
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