रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अमेरिका पहुंचे, तो यह सिर्फ एक कूटनीतिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि कई दिलचस्प घटनाओं की वजह से भी सुर्खियों में रही. सबसे ज्यादा ध्यान खींचा उस पल ने जब पुतिन की टीम को अमेरिका में अपने विमानों में ईंधन भरवाने के लिए कैश में भुगतान करना पड़ा.
15 अगस्त को जब रूसी प्रतिनिधिमंडल अलास्का पहुंचा, तो विमान को दोबारा उड़ान भरने से पहले ईंधन की जरूरत पड़ी. लेकिन चूंकि अमेरिका की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगे हुए हैं, इसलिए पुतिन की टीम अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम के ज़रिए भुगतान नहीं कर सकी. नतीजतन, उन्हें $2.5 लाख (लगभग 2.2 करोड़ रुपये) नकद में चुकाने पड़े. इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि खुद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने की.
रिफ्यूलिंग के लिए देना पड़ा नगद भुगतान
उन्होंने NBC को दिए इंटरव्यू में बताया, "रूसी प्रतिनिधिमंडल को अलास्का में अपने विमानों में ईंधन भरवाने के लिए नकद भुगतान करना पड़ा क्योंकि वे अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली का उपयोग नहीं कर सकते." पुतिन की टीम अलास्का में लगभग 5 घंटे रुकी और पूरी तैयारी के साथ नकद राशि साथ लेकर आई थी. यह प्रतिबंधों की गंभीरता को दर्शाता है, जो युद्ध की शुरुआत से ही रूस पर लगे हुए हैं.
क्या रूस पर लगे प्रतिबंध असरदार हैं?
रूस पर अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इनका कोई प्रभाव पड़ा है? रूबियो मानते हैं कि प्रतिबंध अब भी प्रभावी हैं, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इनकी वजह से रूस की नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. दरअसल, रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों का असर उसे आर्थिक रूप से जरूर झेलना पड़ रहा है, लेकिन राजनीतिक या सैन्य रणनीतियों में इससे कोई खास मोड़ नहीं आया.
क्या अब बातचीत की तरफ बढ़ेंगे पुतिन और जेलेंस्की?
पुतिन और ट्रंप की मुलाकात के बाद वॉशिंगटन में एक बहुपक्षीय बैठक हुई, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और कुछ यूरोपीय नेताओं ने भी भाग लिया. इस बैठक में यूक्रेन की दीर्घकालिक सुरक्षा को लेकर गहन चर्चा हुई. ज़ेलेंस्की ने इस दौरान कहा कि वह पुतिन से सीधे वार्ता के लिए तैयार हैं. ऐसे में अब इस त्रिपक्षीय वार्ता के लिए संभावित स्थान और तारीख को लेकर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. अगर यह मुलाकात होती है, तो यह रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नया मोड़ साबित हो सकती है.
यह भी पढ़ेंः जुमे की नमाज नहीं पढ़ी, तो जाओगे जेल... कहां जारी हुआ ऐसा तालिबानी फरमान