पुतिन के सामने ट्रंप की टूटी हेकड़ी! इसलिए दोनों नेताओं के बीच नहीं बनी बात, जानें अंदर की कहानी

    Russia America Meeting: अमेरिका और रूस के बीच लंबे समय बाद हुई उच्च स्तरीय मुलाकात से दुनिया को उम्मीद थी कि शायद यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर कुछ ठोस समाधान निकल सकेगा. लेकिन अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच करीब 3 घंटे चली इस अहम बैठक के बाद भी किसी ठोस सीजफायर समझौते की घोषणा नहीं हुई.

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    Russia America Meeting: अमेरिका और रूस के बीच लंबे समय बाद हुई उच्च स्तरीय मुलाकात से दुनिया को उम्मीद थी कि शायद यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर कुछ ठोस समाधान निकल सकेगा. लेकिन अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच करीब 3 घंटे चली इस अहम बैठक के बाद भी किसी ठोस सीजफायर समझौते की घोषणा नहीं हुई.

    इस बातचीत को लेकर भले ही दोनों नेताओं ने "रचनात्मक" और "सम्मानजनक" शब्दों का इस्तेमाल किया हो, लेकिन हकीकत ये है कि दोनों देशों के बीच अब भी कई मुद्दों पर गहरी खाई बनी हुई है.

    इस बैठक में सीजफायर को लेकर सहमति क्यों नहीं बन पाई? इसके पीछे 5 अहम वजहें मानी जा रही हैं:

    1. यूक्रेन पर पुतिन का अडिग रवैया

    रूस के राष्ट्रपति पुतिन की यूक्रेन को लेकर सोच बिल्कुल स्पष्ट और कठोर है. 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश देकर उन्होंने यह दिखा दिया था कि वे यूक्रेन को फिर से रूस के प्रभाव क्षेत्र में लाना चाहते हैं. हालांकि युद्ध के तीन सालों में यूक्रेनी सरकार को हटाने में वे सफल नहीं हो पाए, लेकिन अब भी रूस ने करीब 22% यूक्रेनी इलाका अपने कब्जे में ले लिया है. पुतिन का मानना है कि यूक्रेन एक कृत्रिम राष्ट्र है, जिसकी नींव 1917 की रूसी क्रांति के बाद पड़ी थी.

    2. यूक्रेन के लोगों से प्रेम, लेकिन जेलेंस्की सरकार से नाराज़गी

    पुतिन की बातों में यूक्रेनी लोगों के लिए नरम भाव दिखाई देता है, लेकिन राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की सरकार के लिए उनकी नाराजगी साफ झलकती है. पुतिन का दावा है कि यूक्रेन की मौजूदा सरकार मादक पदार्थों के सेवन में लिप्त गिरोह चला रहे हैं, जिन्हें उखाड़ फेंकना जरूरी है. वे बार-बार यूक्रेन की सेना से सत्ता अपने हाथों में लेने की अपील करते रहे हैं.

    3. सीजफायर भी पुतिन की शर्तों पर ही

    पुतिन चाहते हैं कि अगर युद्ध रुके तो उनकी शर्तों पर. उनका कहना है कि यूक्रेन को न केवल नाटो से दूरी बनाए रखनी होगी, बल्कि भविष्य में रूस की सुरक्षा के लिए भी उसकी विदेश और रक्षा नीति पर मास्को का नियंत्रण होना चाहिए. साथ ही वे पश्चिमी देशों से प्रतिबंध हटाने और जब्त की गई रूसी संपत्ति वापस देने की मांग भी कर रहे हैं. जाहिर है, इन मांगों को अमेरिका जैसी ताकत यूं ही नहीं मान सकती.

    4. यूक्रेन से ज्यादा अमेरिका-रूस रिश्तों पर ज़ोर

    मीटिंग के बाद पुतिन ने इस बात को स्वीकार किया कि अमेरिका-रूस के रिश्तों में हाल के वर्षों में खटास आई है. ट्रंप और पुतिन दोनों ने इस रिश्ते को फिर से सामान्य करने की बात कही. पुतिन ने अगली बैठक मॉस्को में करने का प्रस्ताव भी दिया. ऐसा लगता है कि बैठक का फोकस यूक्रेन से हटकर अमेरिका-रूस संबंधों पर ज्यादा रहा.

    5. तनाव के साये में हुई मुलाकात

    हालांकि पुतिन ने दावा किया कि बातचीत सकारात्मक माहौल में हुई, लेकिन अमेरिकी मीडिया हाउस फॉक्स न्यूज ने इसे एक “तनावपूर्ण” बैठक बताया. उनके अनुसार, ट्रंप और पुतिन के बीच कई मुद्दों पर तीखी बहस भी हुई. पुतिन ने यह ज़रूर कहा कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए, लेकिन असल में वह रूस के हितों को पहले रखने की रणनीति से हटने को तैयार नहीं दिखे.

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