Russia Missile Test: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग अब एक नए और खतरनाक मोड़ की ओर बढ़ती नजर आ रही है. ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस एक ऐसी परमाणु-सक्षम क्रूज मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी में है, जो परमाणु ऊर्जा से संचालित होती है और असीमित दूरी तक मार करने की क्षमता रखती है. यह दावा यूक्रेन की सैन्य खुफिया एजेंसी ने किया है. एजेंसी का कहना है कि अगर यह परीक्षण सफल रहता है, तो रूस इसका इस्तेमाल कूटनीतिक स्तर पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है.
यूक्रेन की रिपोर्ट में जिस मिसाइल का उल्लेख है, वह है 9M730 बुरेवेस्तनिक, जिसे नाटो ने कोडनेम SSC-X-9 स्काईफॉल दिया है. यह मिसाइल अपनी श्रेणी में बेहद खास है क्योंकि यह पारंपरिक क्रूज मिसाइलों की तरह सीमित ईंधन पर नहीं चलती, बल्कि इसमें परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल होता है, जिससे यह लंबी दूरी तय करने में सक्षम हो जाती है. इसे रूस की ‘अपराजेय’ मिसाइलों में गिना जाता है.
यूक्रेनी खुफिया एजेंसी का बयान
यूक्रेन के सैन्य खुफिया विभाग के प्रवक्ता आंद्रीय यूसोव ने बताया कि रूस इस परीक्षण के जरिए मिसाइल में किए गए वैज्ञानिक और तकनीकी सुधारों को जांचना चाहता है. उनका मानना है कि यह परीक्षण सिर्फ एक सैन्य गतिविधि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है—खासकर पश्चिमी देशों के लिए.
पुतिन का दावा और विशेषज्ञों की चेतावनी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही इस मिसाइल को ‘अजेय’ करार दे चुके हैं. उनका कहना है कि यह मिसाइल मौजूदा किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को चकमा देने में सक्षम है. हालांकि, पश्चिमी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मिसाइल तकनीक से रेडिएशन लीक का खतरा है और यह रूस को कोई नया सामरिक लाभ नहीं देती.
परीक्षण की तैयारियों के सबूत
कुछ अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों और एक पश्चिमी सुरक्षा सूत्र ने जानकारी दी है कि रूस ने आर्कटिक क्षेत्र के नोवाया ज़ेमल्या द्वीप पर स्थित पैंकोवो टेस्ट साइट पर गतिविधियां तेज़ कर दी हैं. सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि वहां भारी संख्या में उपकरण और कर्मी जुटाए गए हैं, साथ ही मिसाइल परीक्षण से जुड़ी गतिविधियों में तेजी आई है.
ट्रंप-पुतिन की बैठक के बीच सामने आई रिपोर्ट
यह जानकारी ऐसे वक्त पर सामने आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में एक अहम बैठक हुई है, जिसका उद्देश्य यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाना था. ऐसे में रूस की इस मिसाइल से जुड़े दावों ने दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है.
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