अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में साउथ कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित होने वाले एशिया-पैसिफिक आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक गुप्त तैयारी चल रही है. इस सम्मेलन में ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता होने की संभावना जताई जा रही है, हालांकि अभी तक कोई फाइनल योजना नहीं बनी है.
यह खबर ऐसे समय आई है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तियानजिन में हुई SCO बैठक में शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात पर आलोचना की थी. इसके कुछ हफ्ते पहले ही शी जिनपिंग ने ट्रंप और उनकी पत्नी को चीन आने का निमंत्रण दिया था, जिसे ट्रंप ने स्वीकार किया था. हालांकि, अभी यात्रा की तारीखों पर कोई पुख्ता फैसला नहीं हुआ है. व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि इस यात्रा को अमेरिका-एशिया आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने का अवसर माना जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि यात्रा के एजेंडे में व्यापार, सुरक्षा और असैन्य परमाणु सहयोग शामिल होंगे.
विदेशी निवेश को बढ़ावा देने का मकसद
ट्रंप इस यात्रा का इस्तेमाल अमेरिका में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी करना चाहते हैं. उनकी पिछली विदेश यात्राएं जैसे सऊदी अरब, क़तर और UAE इसी उद्देश्य से हुई थीं. सूत्रों के मुताबिक, यात्रा के दौरान कई और अहम फेज हो सकते हैं, जिन पर अभी अंतिम निर्णय लिया जा रहा है.
किम जोंग उन से संभावित मुलाकात
APEC सम्मेलन के दौरान उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से ट्रंप की मुलाकात की भी संभावना है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि किम सम्मेलन में शामिल होंगे या नहीं. दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने ट्रंप को APEC का न्योता देते हुए इसे किम से बातचीत का मंच बनाने का सुझाव दिया था.
ट्रंप ने इस बारे में कहा कि वे किम से मिलना चाहते हैं और बातचीत को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यह कूटनीतिक प्रयास ऐसे वक्त में सामने आ रहे हैं जब क्षेत्र में तनाव अपने चरम पर है. बीजिंग में हाल ही में किम, पुतिन और शी जिनपिंग की सैन्य परेड ने रणनीतिक एकता का संदेश दिया था.
भारत को लेकर विवादास्पद बयान
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाहों’ शी जिनपिंग और पुतिन के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया था. नवारो ने इसे ‘शर्मनाक’ बताते हुए भारत से अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने को कहा था.
ट्रंप ने भी इस बयान पर प्रतिक्रिया दी और सोशल मीडिया पर लिखा, ‘शी जिनपिंग और उनके लोगों के लिए यह एक यादगार दिन है. मैं पुतिन और किम को भी शुभकामनाएं देता हूं, जो अमेरिका के खिलाफ साजिश कर रहे हैं.’ बाद में उन्होंने भारत और रूस के संबंधों को चीन के प्रभाव में डूबते हुए बताया.
ट्रंप के चीन और अन्य देशों के साथ रिश्ते
हाल ही में पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने चीन की सैन्य परेड की तारीफ की और कहा कि वे इस परेड का मकसद समझते हैं. ट्रंप ने बताया कि वे सभी पक्षों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं और आने वाले दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी.
व्यापार वार्ता और टैरिफ विवाद
शी जिनपिंग से ट्रंप की संभावित मुलाकात ऐसे वक्त में होगी जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर हैं. अप्रैल में ट्रंप ने चीनी आयात पर भारी टैरिफ लगाया था, जिसका बीजिंग ने भी बदला लिया था. हालांकि हाल ही में दोनों देशों ने इस टैरिफ को नवंबर तक बढ़ाने की घोषणा टाल दी है और व्यापार संबंधों को सुधारने के लिए कई व्यक्तिगत बैठकें की हैं.
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