मध्य पूर्व के दौरे पर निकले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं. इस बार वजह है उनकी सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा से मुलाकात. अल-शरा को दुनिया भर के कई देश आतंकवादी मानते हैं, और अमेरिका ने खुद उनके सिर पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है. बावजूद इसके, ट्रंप न सिर्फ उनसे मिले, बल्कि सीरिया पर लगे तमाम प्रतिबंध भी हटा दिए.
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ट्रंप ने कुछ ही दिन पहले रियाद के एक निवेश मंच से यह घोषणा की थी कि अमेरिका अब मध्य पूर्व में व्यापारिक भागीदारी को प्राथमिकता देगा. अगले ही दिन उन्होंने अल-शरा से मुलाकात कर पूरी दुनिया को चौंका दिया.
कौन हैं अहमद अल-शरा?
अहमद अल-शरा, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता था, सीरिया के चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के मुखिया रहे हैं. इस संगठन को अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और कई यूरोपीय देश आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं. HTS, अल-कायदा की सीरियाई शाखा से भी जुड़ा रहा है और बशर अल-असद सरकार के खिलाफ संघर्ष में इसकी भूमिका विवादों में रही है.
हालांकि, सत्ता संभालने के बाद से अल-शरा खुद को उदार और प्रगतिशील नेता की छवि में ढालने की कोशिश कर रहे हैं. सूट-बूट में नजर आने वाले शरा अब सीरिया में विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात करते हैं. उन्होंने खुले मंचों पर पश्चिमी प्रतिबंधों को खत्म करने की मांग भी उठाई है.
ट्रंप पर उठे सवाल – सिद्धांतों से समझौता?
ट्रंप की यह मुलाकात अब सवालों के घेरे में है. जिस अमेरिका ने वर्षों तक ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ की दुहाई देकर मध्य पूर्व के देशों में हस्तक्षेप किया, वही अमेरिका आज ऐसे व्यक्ति से संवाद कर रहा है जिसे उसने खुद आतंकवादी घोषित किया है. आलोचकों का कहना है कि यह कदम नीतिगत स्थिरता के खिलाफ है और केवल कारोबारी फायदे के लिए ट्रंप प्रशासन ने अपनी ही घोषित नीतियों से समझौता कर लिया है.
सूत्रों का कहना है कि ट्रंप पर सऊदी अरब और कतर जैसे प्रभावशाली सुन्नी देशों का दबाव था, जो अल-शरा को समर्थन दे रहे हैं. ऐसे में यह मुलाकात इन देशों को खुश करने और निवेश आकर्षित करने की एक रणनीति मानी जा रही है.
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