पलटूराम ट्रंप पूरी दुनिया में बदनाम, अब मिला एक और नाम; जानिए अमेरिका के राष्ट्रपति को क्यों कहा जा रहा- TACO

    निवेशकों ने अब यह समझ लिया है कि ट्रंप की धमकियों का बाजार पर तात्कालिक असर तो होता है, लेकिन लंबे समय तक यह फैसला टिकता नहीं है.

    Trump got another name TACO
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: X/WhiteHouse

    अमेरिकी शेयर बाजारों में जिस तरह की अस्थिरता देखी जा रही है, उसका बड़ा कारण राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बार-बार बदलती टैरिफ नीतियां रही हैं. लेकिन, अब वॉल स्ट्रीट के निवेशक इन उतार-चढ़ाव से घबराने की बजाय एक नए ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं, जिसे बाजार में 'TACO' यानी Trump Always Chickens Out कहा जा रहा है. इस ट्रेंड का सीधा मतलब है—जब ट्रंप टैरिफ की धमकी देते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि वह अंत में अपने फैसले से पीछे हटते हैं.

    निवेशकों की सोच में बदलाव

    निवेशकों ने अब यह समझ लिया है कि ट्रंप की धमकियों का बाजार पर तात्कालिक असर तो होता है, लेकिन लंबे समय तक यह फैसला टिकता नहीं है. यही कारण है कि जब हाल ही में ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) से आयात होने वाले सामानों पर 50% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी, तो शुरुआती गिरावट के बाद बाजार ने जल्दी ही वापसी की. दो दिन के भीतर ही ट्रंप ने संकेत दे दिया कि वे इस फैसले को 9 जुलाई तक टाल सकते हैं क्योंकि यूरोपीय संघ के साथ बातचीत सकारात्मक रही.

    टैरिफ पर ट्रंप के यू-टर्न

    ट्रंप के यू-टर्न की मिसालें नई नहीं हैं. उदाहरण के तौर पर, जब उन्होंने चीन से आयात पर 145% टैरिफ की घोषणा की थी, तो कुछ ही समय बाद उसे घटाकर 100%, फिर 30% कर दिया गया. ऐसे फैसलों के बाद बाजार में शुरुआती उथल-पुथल देखी गई, लेकिन जब टैरिफ में ढील दी गई, तो शेयरों में तेजी आ गई.

    एक कार्यक्रम के दौरान जब एक पत्रकार ने ट्रंप से पूछा कि क्या वह टैरिफ पर पीछे हटते हैं, तो ट्रंप ने हंसते हुए जवाब दिया—“इसे बातचीत कहते हैं.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी रणनीति हर बार दबाव बनाकर बेहतर समझौते करना है.

    पहले भी दिखे हैं ऐसे रुख

    यह कोई पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने टैरिफ पर दबाव बनाकर पीछे हटने की रणनीति अपनाई हो. अप्रैल में उन्होंने दर्जनों देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन, लागू होने के चंद घंटों बाद ही, चीन को छोड़कर सभी देशों को 90 दिनों की छूट दे दी गई. उन्होंने कहा कि यह फैसला बाजार में आ रही गिरावट और निवेशकों के नुकसान को देखते हुए लिया गया है. और वाकई, इस ऐलान के बाद S&P 500 इंडेक्स ने 2008 के बाद की सबसे बड़ी छलांग लगाई थी.

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